मुजफ्फरपुर: यातायात व्यवस्था मामले में मुजफ्फरपुर को उत्तर बिहार के खराब जिलों में से एक माना जाता है. दूसरे जिलों के लोगों का पहला सवाल होता है, वहां कैसे रहते हैं आप? व्यवस्थाएं तो बिल्कुल ठीक नहीं हैं? ट्रैफिक व्यवस्था पूर्ण रुप से चौपट है? शहर में कोई भी व्यवस्था नहीं है. सब व्यवस्थाएं यहां आकर दम तोड़ देती हैं. अधिकारी से लेकर नेता जी तक शहर की कायाकल्प बदलने की बात करते हैं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात होता है. हाल के दिनों में शहर का ट्रैफिक बद से बदतर होता जा रहा है. कारण ड्यूटी में होमगार्ड के जवानों को लगाया गया है, लेकिन उनका कोई कहना मानता ही नहीं?
फेल रही ट्रैफिक व्यवस्था : सप्ताह के पहले दिन सोमवार को शहर से लेकर एनएच तक जाम लगा रहा. सबसे अधिक परेशानी शहर के हरिसभा चौक, अघोरिया बाजार चौक व कलमबाग चौक पर यात्रियों को उठानी पड़ी. ट्रैफिक पुलिस के नहीं होने से पूरी व्यवस्था ही चौपट हो चुकी थी. चौराहों पर चारों ओर से गाड़ियां आपस में भीड़ गयी थी. मात्र एक किमी की दूरी चार चक्के की गाड़ी को डेढ़ घंटे में पूरी करनी पड़ी. मोतीझील, हरिसभा चौक, तिलक मैदान रोड व जवाहर लाल रोड में दुकान के आसपास बेतरतीब गाड़ियों की पार्किग से यह समस्या बनी थी. भयंकर गरमी में लोग घंटों जाम से जूझते रहे. जाम की यही स्थिति एनएच पर दिन भर बनी रही.
सड़क के दोनों तरफ ट्रकों व बसों की लंबी लाइन लगी थी. एनएच की सड़क को पार करने में लोगों के 20 से 25 मिनट का समय लग रहा था. पिछले एक माह से शहर में ट्रैफिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गयी है.
नहीं हो रही अतिक्रमण मुक्त सड़क : अगर आप पहली बार मुजफ्फरपुर शहर में आ रहे है तो सावधान हो जाये. इस शहर की सड़के सप्ताह के पहले, दूसरे व तीसरे दिन सड़क पर तिल रखने की भी जगह नहीं होती. चारों ओर सिर्फ गाड़ियां ही गाड़ियां दिखती है. जिसके कारण शहर में आने-जाने वाले लोगों को काफी मुश्किलात का सामना करना पड़ता है. इस जाम का सिर्फ एक ही कारण है. वह है सड़कों का अतिक्रमण की गोद में चला जाना. सड़कों पर सब्जी मंडी लगाना, बाइक पार्किग, बेतरतीब वाहनों का लगना, सड़क का कुछ भाग पर दुकान लगाना शहर की जाम का सबसे बड़ी समस्या है. यह नजारा मेंहदी हसन चौक, जूरन छपरा, स्टेशन रोड, कंपनी बाग रोड, सरैयागंज टावर, पंकज मार्केट के समीप, नीम चौक, कल्याणी चौक, जवाहरलाल रोड में आम देखा जा सकता है.
कब सीखेंगे सिपाही चौराहे पर वाहनों को पार कराना ?
शहर के लिए जाम की समस्या दाल-भात खाने जैसा है. लेकिन, जिला प्रशासन को इन समस्यायों से जैसे कोई मतलब ही नहीं हो या शायद वे लोग इस शहर की सड़कों से गुजरते ही नहीं. शहर के प्रमुख चौराहे पर यातायात दुरुस्त करने के लिए सिपहियों की तैनाती की जाती है.
लेकिन, इन सारी बातों के बीच एक अहम सवाल उठता है कि जिसे यातायात संभालने की जिम्मेवारी दी गई क्या वह यातायात संभालने के लायक है? तैनात सिपाही को यह पता नहीं कि चौमुहानी से कैसे वाहनों को रोक कर निकाला जाये.