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सरैया के चकबाजो का मामला : रेल लाइन के लिए जमीन की फिर से होगी मापी
मुजफ्फरपुर: पूर्व-मध्य रेलवे ने सरैया अंचल के चकबाजो गांव में रेल लाइन के लिए अर्जित जमीन को लेकर जारी विवाद को सुलझाने की पहल शुरू कर दी है. तय हुआ है कि नये सिरे से जमीन की मापी करायी जायेगी. मापी अर्जित जमीन के नक्शा व अधियाचना के आधार पर होगी. उप मुख्य अभियंता निर्माण […]
मुजफ्फरपुर: पूर्व-मध्य रेलवे ने सरैया अंचल के चकबाजो गांव में रेल लाइन के लिए अर्जित जमीन को लेकर जारी विवाद को सुलझाने की पहल शुरू कर दी है. तय हुआ है कि नये सिरे से जमीन की मापी करायी जायेगी. मापी अर्जित जमीन के नक्शा व अधियाचना के आधार पर होगी.
उप मुख्य अभियंता निर्माण आशुतोष कुमार मिश्र ने जिला भू-अर्जन पदाधिकारी बच्चानंद सिंह को पत्र भेज कर इस फैसले की जानकारी दी है. उनसे अपील की गयी है कि वे मापी के लिए तिथि तय कर अमीन की प्रतिनियुक्ति करें. साथ ही संबंधित भू-धारियों को इसकी जानकारी दें.
अर्जित की गयी थी 2.69 एकड़ जमीन : हाजीपुर-सुगौली न्यू रेल लाइन के लिए चकबाजो में 2.69 एकड़ जमीन अर्जित की गयी है. इसकी अधिसूचना वर्ष 2006-07 में जारी की गयी थी. स्थानीय लोगों का आरोप है कि अर्जन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद रेलवे ने तत्कालीन स्थानीय सांसद के दबाव में प्रस्तावित रेल लाइन का एलॉयमेंट बदल दिया. यह बदलाव लक्ष्मीपुर अरार में (करीब 200 मीटर दूरी में) हुआ. पर, इसका नुकसान चकबाजो के किसानों को हुआ. बदले हुए एलॉयमेंट के आधार पर रेलवे ने जमीन का सीमांकन कराया, तो उसमें वह जमीन भी शामिल कर ली गयी, जिसका अर्जन हुआ ही नहीं था. मामला डीएम कोर्ट तक पहुंचा.
कोर्ट ने तत्कालीन जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को जांच की जिम्मेदारी दी. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी ने 12 जुलाई, 2011 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. उसमें किसानों की आपत्ति को सही बताया गया. इसके आधार पर तय हुआ कि भू-अर्जन व रेलवे की संयुक्त टीम की मापी के बाद ही किसानों को मुआवजा भुगतान किया जायेगा. छह साल से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अभी तक किसानों को मुआवजा नहीं मिला है.
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