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VIDEO में देखिए, बिहार में सामान ढोने वाले ठेले पर चलता है सरकारी अस्पताल का इलाज

मुजफ्फरपुर : बिहार में सरकारी अस्पतालों की स्थिति में आज भी कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. आये दिन इलाज में लापरवाही और अस्पतालों की कुव्यवस्था की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती रहती हैं. इसी क्रम में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से ऐसी खबर आयी है, जिसे सुनकर […]

मुजफ्फरपुर : बिहार में सरकारी अस्पतालों की स्थिति में आज भी कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है. आये दिन इलाज में लापरवाही और अस्पतालों की कुव्यवस्था की खबरें मीडिया की सुर्खियां बनती रहती हैं. इसी क्रम में बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के औराई प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से ऐसी खबर आयी है, जिसे सुनकर आप दांतों तले उंगली दबा लेंगे. जी हां, यह खबर अस्पतालों में मरीजों के प्रति चिकित्सकों के रवैये और मरीजों के प्रति लापरवाही का एक अनोखा नमूना पेश कर रही है.

मामला जिले के आराई प्रखंड मुख्यालय स्थिति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की है. जहां मानवता पूरी तरह शर्मसार होते दिखी. बिना एंबुलेंस के सामाना ढोने वाले ठेले पर मंगलवार देर शाम को एक महिला मरीज जब गंभीर अवस्था में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची. परिजनों के मुताबिक प्रखंड के बभनगांवा गांव की रहने वाली एतवरिया देवी डायरिया से पीड़ित थीं. वह अपने परिजनों के साथ देर शाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंची. उस वक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी एएनएम के साथ बैठक करने में व्यस्त थे. एतवरिया देवी के परिजनों ने जब पीएचसी प्रभारी से गुहार लगायी, तो उन्होंने एक एएनम को भेजकर ठेले पर ही मरीज को स्लाईन चढ़ा दी और यह कह दिया कि इसे दूसरे अस्पताल में ले जाएं.

मरीज के परिजन मजबूरी में एक हाथ में स्लाईन का बोतल लेकर ठेले पर मरीज को लिए निजी अस्पताल के लिए रवाना हो गये. सवाल उठता है कि क्या बिहार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में डायरिया जैसी बीमारी के इलाज की व्यवस्था भी नहीं है ?

क्या पीएचसी प्रभारी को तत्काल बैठक भंग कर मरीज को नहीं देखना चाहिए था ? क्या एतवरिया देवी को सरकारी एंबुलेंस से दूसरे अस्पताल नहीं भेजा जा सकता था ? जब इस बाबत पीएचसी प्रभारी डॉ. हाफीज करीम से पूछा गया कि आखिर ठेले पर मरीज को इस तरह स्लाइन चढ़ाना कहां तक सही है, तो उन्होंने बेतुका बयान जवाब देते हुए कहा कि ठेले पर भी पानी चढ़ाया जा सकता है.

इस घटना ने एक बार फिर यह जता दिया है कि बिहार में अस्पतालों की स्थिति काफी हद तक पहले जैसी ही है. आज भी दूर-दराज और ग्रामीण मरीजों को किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं मिल पा रही है. मुजफ्फरपुर में हुई यह घटना इस बात का जीता-जागता प्रमाण है.

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