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ससस: रामनाथ धमौली व लसकरी पंचायतों के हजारों लोग बाढ़ में हुए बेघर, लीची बगान बना सैकड़ों परिवारों का बसेरा

मुजफ्फरपुर: अभी बाढ़ थमने का नाम नहीं ले रही है. बूढ़ी गंडक के रौद्र रूप ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. कांटी प्रखंड की दो पंचायतों में बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित है. हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. सैकड़ों परिवार के लोग बांध या किसी सुरक्षित जगह पर शरण लिये हैं. कांटी […]

मुजफ्फरपुर: अभी बाढ़ थमने का नाम नहीं ले रही है. बूढ़ी गंडक के रौद्र रूप ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है. कांटी प्रखंड की दो पंचायतों में बड़ी आबादी बाढ़ से प्रभावित है. हजारों लोग बेघर हो चुके हैं. सैकड़ों परिवार के लोग बांध या किसी सुरक्षित जगह पर शरण लिये हैं. कांटी के लसकरीपुर व धमौली पंचायतों के कई गांवों के हजारों लोग सड़क पर आ चुके हैं. गोसाइपुर व लसकरीपुर में नदी का पानी सीधे पहुंच रहा है. बांध के अंदर अब भी 25 फीसदी लोग फंसे हैं.
इन गांवों से निकले लोगों ने बांध के दूसरी तरफ धमौली की लीची गाछी में शरण लिया है. यहां पर चार गांवों के लोग अपना-अपना तंबू गाड़ कर रह रहे हैं. गोसाईपुर, लसकरीपुर, रामनगर, धमौली के लोग परिवार के साथ यहां रह रहे हैं. लोगों का कहना है कि अब तक प्रशासन या जनप्रतिनिधि की तरफ से कोई राहत सामग्री वितरण नहीं किया गया है. शिविर की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. स्थानीय लोगों की देन है कि इस गाछी में हमलोगों को शरण मिला है. पीड़ितों का कहना है कि एक चापाकल करीब 100 मीटर की दूरी पर है. वहीं से सभी लोग पानी भर कर लाते हैं. बाढ़ पीड़ित शंकर सहनी ने बताया कि मुशहरी में बांध टूटने का यहां पर कुछ असर दिख रहा है. शनिवार तक प्रतिदिन एक हाथ तक पानी बढ़ता था. लेकिन जब से बांध टूटा है, तो इंच में पानी बढ़ रहा है. आज सुबह से दोपहर दो बजे तक करीब छह इंच तक पानी बढ़ा है.
बाढ़ के बीच से मवेशियों के लिए चारा लेकर नाव से लौट रहे रंजीत सहनी ने बताया कि हमारे लिए एकमात्र सुरक्षित जगह लीची गाछी है. अगर पानी और दो फुट तक बढ़ा, तो यहां पर खतरा हो सकता है. इसके बाद लोगों के सामने संकट हो जायेगा. बाढ़ पीड़ित लीची गाछी को पूरी तरह साफ कर आशियाना बनाये हैं. सभी लोग खुद ही खाना बनाते हैं. यहीं से मात्र 100 मीटर की दूरी पर दूसरी पंचायत के लोग भी प्राथमिक स्कूल पर शरण लिये हुए हैं. वहां पर करीब एक हजार लोगों का खाना प्रतिदिन बनता है. धमौली की मुखिया अनीता देवी के पति राजू कुमार का कहना है कि यहां करीब एक हजार लोग अस्थायी रूप से ठहरे हुए हैं. इनका खाना बनता है. अब तक प्रशासन की तरफ से कुछ नहीं मिला है. धमौली पंचायत के पांच, छह, सात, नौ, दस और 13 नंबर वार्ड में पानी घुस गया है.
लीची गाछी के बाढ़ पीड़ित वहां से कुछ ही दूरी पर स्थित स्कूल में चल रहे राहत शिविर का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि यहां पर अब तक हमारे मुखिया जी नहीं पहुंचे हैं. वे लोग स्कूल पर लगे शिविर से ही खाना लाते हैं. उमेश सहनी का कहना है कि हमलोग परिवार के साथ दो दिन पहले ही गाछी में शरण लिये हैं. वहीं, स्कूल पर दो चापाकल लगे हैं. करीब डेढ़ हजार लोग उसी पर निर्भर है. लेेकिन वे भी पीने के लिए साफ पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. दोनों चापाकल से बलुई पानी निकल रहा, जो पीने लायक नहीं है़ मुखिया बार-बार सीओ व बीडीओ से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन चापाकल का सिर्फ आश्वासन ही मिलता है.
पहले बेटों ने छोड़ा, अब बाढ़ का दंश झेल रहीं
स्कूल में ही बाढ़ पीड़ितों के बीच शरण ली तीन महिलाएं ऐसी हैं, जिनका दर्द सुन किसी का दिल पसीज जाये. धनेश्वरी, पार्वती व रामकली देवी का कहना है कि उनके पति गुजर चुके हैं. इसके बाद बेटा-पतोहू ने उनको घर से अलग कर दिया. महिलाओं का कहना है कि जैसे-तैसे गांव में गुजरा कर रही थी, तभी बाढ़ ने उनको बेघर कर दिया. महिलाओं ने बताया कि अब तक उनको किसी तरह की राहत नहीं मिली है.
एनएच-57 पर शरण लिये बाढ़ पीड़ित
मिठनसराय व सदातपुर के बाढ़ पीड़ित एनएच-57 के डिवाइडर पर शरण लिये हैं. संख्या बढ़ती ही जा रही है. सैकड़ों परिवारों के लोगों ने बीच सड़क पर तंबू गाड़ अपना आशियाना बना लिया है. सुरक्षा के दृष्टिकोण से एक लेन को पुलिस ने बंद कर दिया है. पीड़ितों का कहना है कि यहां पर पीने के पानी की घोर किल्लत है. दिन भर में एक या दो टैंकर पानी से ही करीब हजारों लोगों की प्यास बुझती है. दिन में करीब तीन बजे एक टैंकर के पहुंचते ही महिलाएं व पुरुष पानी के लिए टूट पड़े.
सदातपुर के पास पुरानी मोतिहारी रोड सड़क को छू रहा बाढ़ का पानी
बूढ़ी गंडक का पानी सुबह तक सदातपुर के पास पुरानी मोतिहारी रोड से करीब तीन मीटर की दूरी पर था. लेकिन दोपहर होते-होते पानी सड़क को छूने लगा था. इससे सड़क के दूसरी ओर रहनेवाले लोगों में दहशत है. बढ़ते पानी को देखने के लिए सड़क किनारे लोगों की भीड़ जमा हो गयी थी. लोगों का कहना था कि हर घंटे में तीन से चार इंच पानी बढ़ रहा है.

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