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छोटी बचत से बनायी बड़ी पूंजी, 38,000 महिलाओं को मिला रोजगार

मुजफ्फरपुर : प्रयास भले टुकड़े-टुकड़े में होते हैं, लेकिन उसका रिजल्ट बहुत बड़ा. कोई सोच भी नहीं सकता है. जैसा जिले की महिलाओं ने ऐसा ही कर दिखाया है. सामूहिक प्रयास से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 38 हजार सदस्यों के लिए रोजगार का रास्ता साफ कर दिया है. कभी 10 रुपये सप्ताह के हिसाब […]

मुजफ्फरपुर : प्रयास भले टुकड़े-टुकड़े में होते हैं, लेकिन उसका रिजल्ट बहुत बड़ा. कोई सोच भी नहीं सकता है. जैसा जिले की महिलाओं ने ऐसा ही कर दिखाया है. सामूहिक प्रयास से प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से 38 हजार सदस्यों के लिए रोजगार का रास्ता साफ कर दिया है. कभी 10 रुपये सप्ताह के हिसाब से बचत करने वाले संकुल स्तरीय संघ (सीएलएफ) में फिलहाल 25 से 40 लाख रुपये जमा हो चुके हैं. इनको बैंक से लगातार लेनदेन और मजबूत शाख का बड़ा फायदा हुआ है. 25 लाख रुपये के एस्टीमेट होने के कारण जब बड़े-बड़े लोगों ने कृषि यंत्र बैंक लेने से हाथ खड़ा कर दिया, तो जीविका समूहों ने आगे बढ़कर काम किया.
15 से 17 लाख रुपये सालाना कमाई
सात महिला समूह ने जिले में कृषि बैंक यंत्र के लिए सभी अर्हता पूरी कर कृषि विभाग व जिला प्रशासन को अवगत करा दिया. आवेदन के बाद कागजात जांच के बाद इस योजना को देने के लिए कृषि विभाग तैयार हो गया. राज्य स्तर से भी स्वीकृति पत्र मिल गया है. यंत्र उपलब्ध होने पर संस्था की सदस्या चलायेंगी. अपने खेतों में काम करने के अलावे भाड़े पर भी दूसरे किसानों को भाड़े पर मुहैया कराये जायेंगे. उम्मीद है कि एक वर्ष में कृषि यंत्र बैंक से कम से कम 15 से 17 लाख रुपये की आमदनी होगी.
10 लाख का अनुदान
कृषि यंत्र बैंक की कुल लागत 25 लाख रुपये है. इसमें यंत्र की खरीद के बाद दस लाख रुपये इस पर अनुदान है. कृषि यंत्र बैंक लेनेवाले किसी भी संस्था या समूह को सरकार से अनुदान के रूप में दस लाख रुपये मिलेगा.
3800 महिलाओं का गणित : एक संकुल स्तरीय संघ में पांच से छह हजार महिलाएं होती हैं. और जिले में सात सीएलफ को कृषि यंत्र बैंक मुहैया कराया जा रहा है. यह महिला सशक्तिकरण की दौर में बड़ा कदम है.
कृषि यंत्र बैंक में होंगे ये सामान
ट्रैक्टर, लैंड लेजर लेवलर, रोटावेटर, कल्टीवेटर, डिस्क हैरो, सुगर केन कटर, रीपर कंबाइंड, धान थ्रेसर, गेहूं थ्रेसर, पोटैटो प्लांटर, पोटैटो डिगर, पावर वीडर.
जिन जीविका समूहों ने कृषि यंत्र बैंक लिया है, उन्हें एस्टीमेट का 40 प्रतिशत अनुदान सरकार देगी. निदेशालय को दो बार आवंटन के लिए लिखा गया था. एलॉटमेंट आ गया है. भुगतान कार्य के अनुसार किया जायेगा. महिलाओं का यह बड़ा कदम है.
केके वर्मा, डीएओ मुजफ्फरपुर

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