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क्यों कराया जीविका दीदियों से स्कूलों का निरीक्षण

मुजफ्फरपुर : जीविका की दीदियों से स्कूलों में निरीक्षण कराये जाने से जुड़े मामले की सुनवाई हाइकोर्ट में हुई. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की दो सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. इस मामले में सरकार को हलफनामा दायर कर […]

मुजफ्फरपुर : जीविका की दीदियों से स्कूलों में निरीक्षण कराये जाने से जुड़े मामले की सुनवाई हाइकोर्ट में हुई. मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति सुधीर सिंह की दो सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य सरकार से तीन सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है. इस मामले में सरकार को हलफनामा दायर कर जवाब देना होगा.

हाइकोर्ट ने पूछा है कि आखिर बिना किसी योग्यता व अधिकार के जीविका दीदियां स्कूलों का निरीक्षण क्यों करती हैं? हाइकोर्ट ने यह सुनवाई दायर याचिका (सीडब्ल्यूजेसी नंबर- 17998/16) पर की है. परिवर्तनकारी प्रारंभिक शिक्षक संघ ने याचिका दायर कर इंसाफ की गुहार लगायी थी. हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से जवाब मांगा है. शिक्षा विभाग व ग्रामीण विकास विभाग के प्रधान सचिव के संयुक्त आदेश पर जीविका की दीदियां स्कूलों का निरीक्षण करती थीं. उनकी निरीक्षण रिपोर्ट पर सूबे के हजारों शिक्षकों का वेतन काट दिया गया था.

शिक्षकों पर विभागीय कार्रवाई भी हुई. इसके दौरान जीविका दीदियों से स्कूलों का निरीक्षण कराये जाने पर बवाल हुआ था. संघ के प्रदेश अध्यक्ष वंशीधर ब्रजवासी ने सरकार के इशारे पर जीविका दीदियों के स्कूलों में निरीक्षण को शिक्षकों का अपमान बताया था. व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि वित्त विभाग की ओर से गरीबी उन्मूलन के लिए बनाये गये एनजीओ से स्कूलों का निरीक्षण कराना सही नहीं है.

एनजीओ से स्कूलों का निरीक्षण कराना असंवैधानिक है. जीविका समूह से जुड़ी अधिकांश दीदियां पढ़ी लिखीं नहीं थी. ऐसे में उनसे निरीक्षण करना शिक्षकों के साथ-साथ समाज का अपमान है. इसके बाद हाइकोर्ट ने दायर याचिका पर सुनवाई में सरकार से जवाब-तलब किया है.

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