पीजीआरसी में पर्यवेक्षक नहीं होने से आठ शोधार्थी नहीं दे पाये अपना प्रजेंटेशन
मुंगेर. मुंगेर विश्वविद्यालय ने अपने 20 पीजी विभागों के पीएचडी शोधार्थियों के रिसर्च पेपर की जांच के लिए पीजीआरसी की बैठक आरंभ कर दी है, लेकिन कॉमर्स पीएचडी के पर्यवेक्षक के तीन माह पूर्व ही सेवानिवृत्त हो जाने के कारण अब उनके अंडर शोध करने वाले कॉमर्स के 8 शोधार्थियों के भविष्य पर तलवार लटक गयी है.बता दें कि एमयू ने अपने 20 पीजी विभागों के अंतर्गत 12 जनवरी 2024 को पीएचडी में लगभग 500 शोधार्थियों ने नामांकन लिया. जिनके 6 माह के रिसर्च मैथोलॉजी कोर्स वर्क के बाद परीक्षा ली गयी. जिसका रिजल्ट भी 16 दिसंबर 2024 को प्रकाशित कर दिया. इसके बाद सभी विभागों के शोधार्थियों ने अपने शोध का टॉपिक अपने संबंधित विभागों में आयोजित डीआरसी की बैठक में जमा भी कर दिया. वहीं अब विश्वविद्यालय ने 11 अप्रैल से ही सभी शोधार्थियों के रिसर्च पेपर की जांच के लिए पीजीआरसी की बैठक भी आरंभ कर दी है. जिसमें तिथि के अनुसार संबंधित विषय के शोधार्थी प्रजेंटेशन दे रहे हैं.
बता दें कि एमयू के कॉमर्स पीजी विभाग का संचालन आरडी एंड डीजे कॉलेज में किया जाता है. वहीं रिसर्च मैथोलॉजी कोर्स वर्क के दौरान कॉमर्स के पीजी विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार गुप्ता थे, जिनके अंडर 8 शोधार्थी हैं. हालांकि 3 जनवरी 2025 को डॉ सुनील कुमार गुप्ता सेवानिवृत्त हो गये. जिसके बाद कुलपति ने सेवानिवृत्त के कारण उनके शोध पर्यवेक्षक होने पर रोक लगा दी. जिसके कारण अब इन 8 शोधार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है. विदित हो कि शोध के लिए किसी प्रोफेसर के अंडर 8, एसोसिएट प्रोफेसर के अंडर 6 तथा असिस्टेंट प्रोफेसर के अंडर 4 सीट होती है. ऐसे में वर्तमान कॉमर्स पीजी विभागाध्यक्ष डॉ अशोक पोद्दार के अंडर पहले से ही कॉमर्स के 6 शोधार्थी हैं. जबकि शेष शिक्षकों की सीटें भी कॉमर्स में भरी हैं. जिसके कारण अब डॉ सुनील कुमार गुप्ता के अंडर शोध करने वाले कॉमर्स के 8 शोधार्थियों के भविष्य पर तलवार लटक गयी है.कॉमर्स के 8 शोधार्थियों को लेकर कुछ तकनीकी पेंच है. जिसपर कुलपति के निर्देशानुसार ही निर्णय लिया जायेगा. हालांकि कॉमर्स के लिए शिक्षक मिलने वाले हैं.
प्रो. भवेशचंद्र पांडेय, डीएसडब्ल्यूB
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है