Patna News: ‘जय-जय जगन्नाथ’, ‘जय-जय जगन्नाथ’, ‘हरे कृष्णा… हरे रामा…’ की ध्वनियों के बीच शुक्रवार को राजधानी पटना में महाप्रभु जगन्नाथ की भव्य रथयात्रा निकाली गयी. शंख की ध्वनि के साथ रथ पर महाप्रभु को विराजमान किया गया, और सैकड़ों श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए उत्साहित दिखे. सभी भगवान को स्पर्श करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लालायित नजर आये. इस्कॉन के श्री राधा बांके बिहारी जी मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. 40 फुट ऊंचे रथ को बंगलुरु, कोलकाता और थाईलैंड से मंगाये गये फूलों से सजाया गया था, जिस पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम व बहन सुभद्रा की प्रतिमाएं विराजमान थीं.
नगर भ्रमण के लिए रवाना हुए भगवान जगन्नाथ
शुक्रवार को पटना के कई मठ-मंदिरों से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की भव्य रथयात्रा निकाली गयी. बुद्ध मार्ग स्थित इस्कॉन (अंतरराष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत संघ) के बांके बिहारी मंदिर से भगवान जगन्नाथ 40 फीट ऊंचे हाइड्रोलिक रथ पर नगर भ्रमण के लिए रवाना हुए. विदेशी फूलों से सजे इस रथ की विशेष शोभा रही. भगवान के रथ पर विराजने के बाद मंदिर के श्रीकृष्ण सेवायतों, पुजारियों और एल एन पोद्दार ने आरती उतारी. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ‘जगन्नाथ स्वामी नयनपथगामी भकतू में’- इस भाव से रथ खींचने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है.
इस्कॉन पटना के चेयरमैन ने क्या कहा ?
इस्कॉन पटना के चेयरमैन रमण मनोहर दास ने कहा कि झाड़ू लगाकर रथयात्रा का शुभारंभ करना प्राचीन परंपरा है, जिससे बाहरी सफाई के साथ अंतर्मन की भी शुद्धि होती है. रथयात्रा में भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करने वालों में ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी, बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद के सदस्य सायण कुणाल, बिहार नागरिक परिषद के महासचिव छोटू सिंह, श्याम रजक, सुनील सिन्हा आदि शामिल रहे.
बच्चे, महिला व पुरुष सभी ने खींची रस्सी
जगह-जगह श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ की आरती उतारी. बुद्धमार्ग के इस्कॉन मंदिर से निकले भगवान के रथ खिंचने के लिए पटना की सड़कों पर भक्तों का सैलाब दिखा. दोपहर 3.32 बजे श्रीकृष्ण महामंत्र जाप और ढोल-मंजीरे की लयबद्ध थाप के बीच रथयात्रा शुरू हुई. लगभग चार किलोमीटर लंबी यात्रा में कृष्ण महामंत्र जपते महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे खाली पांव भगवान का रथ खींचने और प्रसाद पाने के लिए लालायित रहे. रथ से जुड़े दो रस्से में एक को महिला श्रद्धालुओं और दूसरे रस्से को पुरुष भक्तों द्वारा खींचा गया. रथ के आगे-आगे सड़क बुहारने वाले भक्तों की टोली चल रही थी.
भक्तों ने बुहारी सड़कें, श्रद्धालुओं ने उतारी आरती
रथयात्रा में शामिल नंगे पांव चल रहे भक्तों को सड़क पर मौजूद कंकड़-पत्थर से बचाने के लिए कई भक्तों ने सड़कों पर झाड़ू सेवा दी. कई भक्तों ने कपड़े से ही सड़क को बुहारा. साथ ही रथयात्रा के रास्ते में आयकर चौराहा सहित कई जगहों पर भगवान की आरती उतारी गई, उनका स्वागत किया गया. रास्ते में कई भक्तों ने भगवान जगन्नाथ को प्रसाद और फूल-माला भेंट किया. उन पर फूल बरसाए. रथ को देखकर कई भक्तों ने सड़क पर साष्टांग लेटकर भगवान को नमस्कार किया और सुख-समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना की. नगर भ्रमण कर भगवान का रथ वापस मंदिर शाम साढ़े छह बजे के बाद पहुंची. जहां भगवान के सामने नरसिंह आरती की गयी. इसके बाद उन्हें वापस गर्भगृह में पहुंचाया गया.
हरे रामा, हरे कृष्णा की धुन पर भक्तों ने किया नृत्य

रथयात्रा के आगे-आगे चल रहे भक्तों की टोलियां ‘हरे रामा, हरे कृष्णा, कृष्णा-कृष्णा हरे-हरे’ की धुन पर थिरकते, झूमते-गाते चल रहे थे. राम-कृष्ण… पर थिरकते हुए भक्त पसीने से तरबतर होते रहे लेकिन भक्तों का समूह श्रीकृष्ण-जगन्नाथ जयकारे और हरि बोल के नारे पर झूमते रहे. रथयात्रा के साथ-साथ प्रसाद वितरित की जा रही थी. भगवान के रथ से और रथ के आगे चल रही गाड़ियों से सड़क पर मौजूद भक्तों के बीच प्रसाद बांटा गया. रथ से मकुन दाना, सौंफ, बादाम का पैकेट, केला, सेब, खाजा, लड्डू आदि भगवान का प्रसाद रथयात्रा के रास्ते में भक्तों के बीच बांटा गया. भक्तों को जितना प्रसाद मिलता उससे ज्यादा हाथ प्रसाद की मांग में उठते दिखे. भक्तों के बीच प्रसाद के साथ-साथ फूल और माला भी बांटा गया. रथ के मंदिर पहुंचने के बाद भक्तों के बीच महा प्रसाद का वितरण किया गया.
पटना के इन इलाकों से गुजरा रथ
श्री बांके बिहारी गोलक धाम मंदिर से निकलने के बाद भगवान का रथ आयकर चौराहा होते हुए बिहार म्यूजियम तक पहुंचा. बाद में यहां से यू-टर्न लेकर हाईकोर्ट चौराहा, पटना वीमेंस कॉलेज, आयकर गोलंबर, कोतवाली होते हुए डाकबंगला चौराहा से यू-टर्न लेकर मौर्या लोक के बगल से बुद्ध मार्ग होते हुए वापस मंदिर पहुंचा.
Patna City: वैदिक रीति-रिवाजों से की गयी पूजा-अर्चना
पटना सिटी में आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को पुरी की तर्ज पर भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा परंपरागत रूप से निकाली गयी. मच्छरहट्टा के गोपीनाथ गली स्थित 130 वर्ष पुरानी भगवान जगन्नाथ मंदिर से रथयात्रा वैदिक रीति-रिवाजों से प्रारंभ हुई. रथ पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्तियां विराजमान कर नगर भ्रमण कराया गया. रथ अशोक राजपथ से होते हुए लल्लू बाबू के कुचां स्थित मंदिर पहुंचा.
आचार्य पंडित रामानंद पांडे ने क्या बताया ?
आचार्य पंडित रामानंद पांडे के अनुसार भगवान जगन्नाथ मौसीबाड़ी जाने के लिए 13 दिनों तक प्रवास करेंगे और 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन रथ वापसी करेगा. इस अवसर पर जल्ला स्थित हनुमान मंदिर और बेगमपुर स्थित जल्ला हनुमान मंदिर से भी रथयात्रा निकाली गयी. गोपीनाथ गली के मंदिर के पुजारी आचार्य पंडित रामानंद पांडे ने बताया कि पहले दिन भगवान का गरुड़ सवारी दर्शन होगा और रथ वापसी पर अचल उत्सव व धार्मिक अनुष्ठान होंगे. इस धार्मिक आयोजन में महाराजा कुंवर रूप नारायण सिंह ट्रस्ट के सदस्य और स्थानीय गण्यमान्य व्यक्ति भी शामिल रहे.
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गौड़ीय मठ मंदिर : शाम सात बजे निकली रथयात्रा
मीठापुर स्थित श्री गौड़ीय मठ मंदिर में शाम सात बजे जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन धूमधाम से किया गया. मंदिर परिसर में ‘हरि बोल’, ‘जय जगन्नाथ’, ‘जय बलदेव’, ‘जय सुभद्रा’ की पवित्र ध्वनियां गूंज रही थीं, जो भक्तों के मन में आस्था और भक्ति की लहर उत्पन्न कर रही थीं. मंदिर को फुल बंगला शैली में सजाया गया था, जिससे रथ यात्रा की भव्यता और भी बढ़ गयी. इस पावन अवसर पर करीब 500 श्रद्धालुओं ने रथ को खींचकर पुण्य प्राप्त किया. रथ के मार्ग पर भक्तों पर पुष्प और चॉकलेट की बारिश की गयी, जिससे माहौल और भी उल्लासित हो गया. जगन्नाथ जी की भव्य आरती के बाद उनके प्रिय उपहार समर्पित किये गये और फिर भगवान को भोग अर्पित किया गया. इस अवसर पर भक्ति रस मय रस सार महाराज ने रथ यात्रा के रहस्य और महिमा के बारे में सभी भक्तों को कथा सुनायी.

