हरलाखी/बासोपट्टी.
पड़ोसी देश नेपाल के जनकपुरधाम में विवाह पंचमी महोत्सव के पांचवें दिन सोमवार को गंगासागर सरोवर पर जनक नंदनी जानकीजी का मटकोर पूजा की रश्म पूरी की गयी. जानकी मंदिर के कनिष्ठ महंत राम रोशन दास वैष्णव की अगुवाई में जानकी मंदिर परिसर से गाजे-बाजे के साथ जानकी स्वरूप रामलीला कलाकार के साथ हजारों की भीड़ गंगासागर तालाब पहुंची, जहां मिथिला परंपरा के अनुसार जानकीजी को महिलाओं ने स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कराया. इस अवसर पर मुख्य रूप से सात सुहागिन महिलाएं जो मटकोर का मैथिली गीत अवध नगरिया से अइले बरियतिया हे सुहावन लागे… आदि गीतों से वातावरण भक्तिमय बना दिया. वहीं, उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास वैष्णव ने भी एक से बढ़कर एक मधुर गीतों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. बीच-बीच में जय श्रीराम-जय किशोरी जी की जयघोष से गंगासागर सरोवर गुंजायमान हो उठा. इस अवसर पर महागंगा आरती के आचार्यों ने सबसे पहले किशोरी जी की आरती की. उसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महागंगा आरती की गयी. मटकोर रस्म में जानकी जी के भाई के रूप में जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास वैष्णव ने प्रतिकात्मक सोना के कुदाली से गंगासागर सरोवर से मिट्टी खुदाई की. जिसे जगत जननी सीता जी ने उक्त मिट्टी को अपने हाथों से निकाली. दरअसल इसी मिट्टी से वेदी का निर्माण की परंपरा है. इधर रस्म के अंत में मौजूद महिलाएं खोइंछा पसार कर मां जानकी के हाथों से मटकोर का अंकुरित (प्रसाद) ली. साथ ही सभी श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद बाटें गए. मटकोर रस्म पूरी करने के बाद महिलाओं ने सरोवर से लिए गए मिट्टी को डाला में रखकर गीत-गान करते हुए वापस जानकी मंदिर के लिए प्रस्थान की. मटकोर रस्म की गवाह हजारों की संख्या में उमड़ी श्रदालु बने. मटकोर रस्म शुरुआत से पहले महंत ने मिथिला परंपरा के अनुसार स्थानीय सांसद जूली, मेयर मनोज साह सहित दर्जनों मेहमानों को अंगवस्त्र व फूलमाला से स्वागत किया. मटकोर कार्यक्रम के दौरान सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम देखा गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

