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Madhubani News : वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पारा मेडिकल संस्थान का हो रहा संचालन

जिले के रामपट्टी स्थित पारा मेडिकल संस्थान में नामांकित 100 छात्रों का पठन-पाठन वैकल्पिक व्यवस्था के तहत की जा रही है.

मधुबनी.

जिले के रामपट्टी स्थित पारा मेडिकल संस्थान में नामांकित 100 छात्रों का पठन-पाठन वैकल्पिक व्यवस्था के तहत की जा रही है. ऐसे में छात्रों के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर प्रश्न चिह्न लग रहा है. संस्थान में प्राचार्य, ट्यूटर वार्डन सहित वार्ड ब्वाय का सभी पद रिक्त है. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी राजनगर डॉ. निरंजन कुमार को प्रभारी प्राचार्य बनाया गया है. कभी सदर अस्पताल से तो कभी पीएससी से चिकित्सकों को भेजकर छात्रों का पठन-पाठन किया जा रहा है. ऐसे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर सवाल उठना लाजिमी है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात तो दूर मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है.

पारा मेडिकल छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का आलम यह है कि एक ट्यूटर के सहारे 100 छात्राओं का पठन-पाठन कार्य किया जा रहा है. आइएनसी गाइडलाइन के अनुसार प्रति 10 छात्रों के लिए एक ट्यूटर के साथ ही लेक्चरर का होना भी अनिवार्य है, जबकि पारा मेडिकल छात्रों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एक चिकित्सक है. संस्थान के कई छात्रों ने बताया कि सप्ताह में दो या तीन दिन ही वर्ग संचालित होता है. इसके अलावे प्रतिदिन सदर अस्पताल के विभिन्न वार्डों में कार्य के लिए आना पड़ता है. सदर अस्पताल में भी इसीजी का कोई बेहतर व्यवस्था नहीं है. ऐसे में छात्रों का प्रैक्टिकल भी भगवान भरोसे चल रहा है.

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ साथ मूलभूत सुविधाओं का भी है अभाव

वर्तमान में पारा मेडिकल संस्थान में सत्र 2023-2025 में 45 एवं 2024- 2026 में लगभग 55 छात्र नामांकित हैं. 2 वर्षीय इसीजी डिप्लोमा कोर्स के बाद छात्रों का इसीजी टेक्निशियन के रूप में नियुक्ति होती है. प्रभारी प्राचार्य डॉ निरंजन कुमार ने कहा कि पारा मेडिकल संस्थान में किसी भी पद पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है. वर्तमान में पारा मेडिकल संस्थान में केवल इसीजी की पढ़ाई हो रही है. जिसके तहत एनाटॉमी, फिजियोलॉजी एवं इलेक्ट्रो कार्डियोग्राफी विषय से संबंधित पढ़ाई होती होती है. कई छात्रों ने कहा कि चापाकल नहीं होने व विद्युत आपूर्ति बाधित होने के बाद पेयजल के साथ ही जलापूर्ति की समस्या होती है. पारा मेडिकल संस्थान में बाउंड्री वॉल नहीं है. साथ ही सुरक्षा कर्मी दिन में तो रहते हैं, लेकिन रात में कभी-कभी ही रहते हैं. साफ-सफाई की स्थिति भी दयनीय है. प्रभारी प्राचार्य डॉ. निरंजन कुमार ने कहा कि इस संबंध में जिला से लेकर राज्य स्तर के वरीय पदाधिकारियों को समय-समय पत्राचार के जरिये जानकारी दी जाती है.

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