मधुबनी.
जिले में 30 सितंबर को डेंगू के 3 मरीज चिह्नित होने के बाद मरीजों की संख्या 18 हो गयी है. इसमें कलुआही के सोनू कुमार झा, पंडौल के रोशन कुमार मिश्रा एवं केवटी कै असलानी देवी शामिल हैं. अभी तक चिन्हित मरीजों में से एक दो को छोड़ 18-30 वर्षों के अधिकांश मरीज शामिल हैं. जिला वैक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह ने कहा कि 15 डेंगू मरीजों के घर के 500 मीटर रेडियस में टेक्निकल मालाथियान से फागिंग एवं लार्विसाइडल का छिड़काव करा दिया गया है. जबकि बारिश के कारण तीन मरीजों के घर के आसपास फागिंग नहीं कराया गया है. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने कहा कि डेंगू मरीजों की बढ़ रही संख्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग सभी संस्थानों को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया है.डेंगू मरीजों की संख्या हुई 18
जिला में 30 सितंबर तक 18 डेंगू मरीजों को चिन्हित किया गया है. डेंगू मरीजों में रहिका प्रखंड के नवटोल निवासी 19 वर्षीय गुड्डी कुमारी, बेनीपट्टी लोहिया चौक निवासी 22 वर्षीय ईश्वर चंद्र ठाकुर लदनियां प्रखंड के पिपराही निवासी 22 वर्षीय मुकेश राम, खजौली प्रखंड के बिरौल निवासी 18 वर्षीय अनुज कुमार, खजौली प्रखंड निवासी 22 वर्षीय पवन कुमार ठाकुर, लदनियां प्रखंड के खाजेडीह निवासी 24 वर्षीय आनंद कुमार, राजनगर प्रखंड के मंगरौनी शेखटोली निवासी मो. शकील, रहिका निवासी 20 वर्षीय मो. कमरे आलम, बेनीपट्टी बलेन निवासी 57 वर्षीय राजकुमार सहनी, बाबूबरही निवासी 22 वर्षीय अभिषेक कुमार, बेनीपट्टी निवासी 25 वर्षीय अमरनाथ यादव, मधेपुर निवासी 30 वर्षीय मंजू देवी, बेला जयनगर निवासी सोनिया देबी, कलुआही के सोनू कुमार झा, पंडौल के रोशन कुमार मिश्रा एवं केवटी कै असलानी देवी शामिल हैं. वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. डीएस सिंह ने कहा डेंगू मरीजों का प्लेटलेट्स काफी तेजी से गिरने लगता है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में प्लेटलेट्स डेढ़ लाख होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि डेंगू बीमारी में मरीज के प्लेटलेट्स में तेजी से कमी होने लगती है और बीमारी मरीज को अपनी चपेट में ले लेता है. उन्होंने कहा कि डेंगू से बचाव एवं जागरूकता के लिए केटीएस, वीडीसीओ, बीएचडब्ल्यू एवं बीएचआई द्वारा अपने-अपने आवंटित क्षेत्रों में डेंगू संबंधित रोगों के कारण एवं उससे बचाव के उपाय का प्रचार प्रसार किया जा रहा है. संदिग्ध मरीजों को जांच के लिए नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भेजा जा रहा है. पॉजिटिव मरीज पाए जाने पर सदर अस्पताल में एलिसा टेस्ट कराया जाता है. गंभीर मरीजों को सदर अस्पताल के डेंगू वार्ड में भर्ती कर मरीज कर नि:शुल्क उपचार किया जाता है. पॉजिटिव मरीज के गांव में उनके घर से 500 मीटर रेडियस में टेक्निकल मालाथियान द्वारा फागिंग कराया जा रहा है. इसके साथ ही लार्विसाइडल टेमीफास का छिड़काव किया जा रहा है. डेंगू एवं चिकनगुनिया के रोग, कारण, उपचार एवं सावधानियां के बारे में जानकारी के लिए जिले के 50 सीएचओ को प्रशिक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के डेंगू मरीजों के घर के 500 मीटर की परिधि में टेक्निकल मालाथियान से फागिंग स्वास्थ्य विभाग एवं शहरी क्षेत्र में मरीजों के घर के 500 मीटर रेडियस में नगर निगम द्वारा फागिंग एवं छिड़काव किया जाता है.रैपिड रिस्पांस टीम का किया गया है गठन
डॉक्टर डीएस सिंह ने कहा कि डेंगू, मलेरिया एवं चिकनगुनिया जैसे गंभीर रोग से निपटने के लिए रैपिड रिस्पांस टीम गठित किया गया है. जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर पर आम लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता व इलाज की सटीक जानकारी देने के साथ साथ आपात कालीन स्थिति से निपटने की जिम्मेदारी इस टीम को दी गयी है. डेंगू के मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में मरीज के लिए सदर अस्पताल में 8 बेड, अनुमंडलीय अस्पतालों में 4-4 बेड तथा प्रत्येक सीएचसी एवं पीएचसी में 2-2 बेड आरक्षित किया गया है.
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