मधुबनी. झंझारपुर में केंद्रीय विद्यालय खोले जाने के दिशा में प्रशासनिक चर्चा होते ही जिला भर में इसका जमकर विरोध होने लगा है. विभिन्न संगठनों, राजनीतिक दलों के साथ साथ आम लोगों ने इसका पुरजोर विरोध किया है. लोगों की मांग है कि केंद्रीय विद्यालय की स्थापना मुख्यालय के आस पास होना चाहिये न कि झंझारपुर में. खुलकर होने लगा विरोध हाल ही में प्रो. शीतलांबर झा की अगुआई में शहर मुख्यालय में बुद्धिजीवियों की बैठक बुलायी गयी थी. जिसमें उपस्थित लोगों ने झंझारपुर में केंद्रीय विद्यालय खोले जाने के पहल पर एतराज जताया था. वक्ताओं ने यह निर्णय लिया था कि इसको लेकर एक शिष्टमंडल डीएम से मिलेगा. वहीं, भाकपा माले की विधान परिषद सदस्या शशि यादव और भाकपा माले के जिला सचिव ध्रुव नारायण कर्ण ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि जन भावना के मद्देनजर मधुबनी के रांटी में केंद्रीय विद्यालय का निर्माण होना चाहिये. मधुबनी जैसे सीमांचल के बड़े जिला में एक भी केंद्रीय विद्यालय का नहीं होना बड़ी उपेक्षा का प्रमाण है. इन लोगों ने कहा है कि भाजपा के कुल मिलाकर अब केंद्र में 17 साल सरकार रही है लेकिन इस दौरान एक भी केंद्रीय संस्थान नहीं खुले हैं. भाजपा ने वोट लेकर मधुबनी की जनता की उपेक्षा की है वहीं, एमएसयू के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव प्रियरंजन पांडेय ने कहा है कि मधुबनी के लोगों को जिला प्रशासन गुमराह कर रही है. मधुबनी जिला में मात्र एक ही केंद्रीय विद्यालय प्रस्तावित है. केंद्र सरकार के द्वारा मधुबनी जिला में 2014 से ही केंद्रीय विद्यालय के लिए जमीन बिहार सरकार व जिला प्रशासन के द्वारा नहीं दिया गया, तभी से यह लंबित है. बिहार में चुनाव को देखते हुए सरकार केंद्रीय विद्यालय बनाने के लिए सजग हुई है. और पुनः जमीन के लिए बिहार सरकार ने सभी समाहर्ता को पत्र लिखा है. मधुबनी जिला मुख्यालय के सांसद, विधायक, एमएलसी केंद्रीय विद्यालय को लेकर के आज तक सजग नहीं रहे. इसी का परिणाम अबतक यह लंबित रहा. मिथिला स्टूडेंट यूनियन द्वारा 2015 से लेकर 2025 तक दर्जनों बार आंदोलन किया गया, भूख हड़ताल की गयी. राजनगर प्रखंड स्थित परिहरपुर मौजा में 2018 में जमीन उपलब्ध कराया गया. तत्कालीन जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक द्वारा प्रस्ताव बिहार सरकार को भेजा गया, अब तक वह प्रस्ताव की फ़ाइल धूल फांक रही है. अब जब मधुबनी मुख्यालय में प्रस्तावित केंद्रीय विद्यालय को लेकर शिक्षा विभाग द्वारा जब जिला अधिकारी से प्रस्ताव के संबंध में जमीन उपलब्ध करवाने को कहा गया है तो पुनः जिला प्रशासन ने इसे टालने के लिए, मुख्यालय से अन्यत्र केंद्रीय विद्यालय को ले जाने का कुचक्र रचा जाने लगा.
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