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57 हजार रुपये देकर काठमांडू से पहुंचे मधवापुर
मधवापुर के साकीर काठमांडू में करते थे जड़ी का कारोबार माधवपुर : छह दिनों तक शरणार्थी कैंप में परिवार व चार छोटे बच्चों के साथ बिस्कुट खाकर समय गुजारने के बाद भूख-प्यास से बुरी तरह टूट चुके मधवापुर के साकीर खान रविवार को घर लौटे. घर आने के लिए उन्हें कुल 57 हजार रुपये अदा […]
मधवापुर के साकीर काठमांडू में करते थे जड़ी का कारोबार
माधवपुर : छह दिनों तक शरणार्थी कैंप में परिवार व चार छोटे बच्चों के साथ बिस्कुट खाकर समय गुजारने के बाद भूख-प्यास से बुरी तरह टूट चुके मधवापुर के साकीर खान रविवार को घर लौटे. घर आने के लिए उन्हें कुल 57 हजार रुपये अदा करने पड़े. 25 अप्रैल को अपनी आंखों के सामने अपने घर व दुकान को भूकंप में गिरते देख वह अब भी बदहवास हैं.
वह पिछले 18 वर्षों से काठमांडू के थमेल मोहल्ला में लीज की जमीन पर अपना जड़ी व्यवसाय चला रहे थे. मधवापुर पंचायत के वार्ड-6 निवासी मो साकीर खान भूकंप के समय अपने कारखाना पर सभी कारीगरों के साथ थे. जबकि पत्नी असरफी, बेटी मुस्कान, ताजमीन और बेटा समीर व रौनक उनके किराये के आवास पर थे. भूकंप के झटके में जब उसके कारखाने के खंभे टूटने लगे और छप्पड़ उड़ने लगा तो उसे कुछ भी नहीं समझ में आया.
बड़ी-बड़ी इमारतों के गिरने की आवाज और उससे निकलती धूल में जब चारों तरफ अंधेरा छा गया तब इसे होश आया कि लोग क्यों गिरते पड़ते भाग रहे हैं. सभी लेबर के साथ वह अपने आवास की ओर भागे और परिवार बच्चों को लेकर खुले मैदान में पहुंच गये. वे अपने परिवार को बचाने में तो कामयाब रहे, लेकिन ऐसी किस्मत औरों की नहीं थी. इनके कई पहचान वाले अब इस दुनिया में नहीं हैं. कोई मकान के नीचे दबकर तो कोई सदमे में गुजर गये.
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