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न्यायिक कार्य से अलग रहे अधिवक्ता

घटना में शामिल दोषी पुलिसकर्मियों को सख्त कानूनी कारवाई की मांग कोर्ट आने वाले पक्षकारों को हुई परेशानी, वापस लौटे पक्षकार मधुबनी : दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस द्वारा वहां के अधिवक्ताओं पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करने, गोली फायरिंग करने के विरोध में जिला अधिवक्ता संघ मधुबनी के सदस्य अधिवक्ताओं ने रोषपूर्ण प्रदर्शन करते […]

घटना में शामिल दोषी पुलिसकर्मियों को सख्त कानूनी कारवाई की मांग

कोर्ट आने वाले पक्षकारों को हुई परेशानी, वापस लौटे पक्षकार

मधुबनी : दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस द्वारा वहां के अधिवक्ताओं पर बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करने, गोली फायरिंग करने के विरोध में जिला अधिवक्ता संघ मधुबनी के सदस्य अधिवक्ताओं ने रोषपूर्ण प्रदर्शन करते हुए अपने को सोमवार को न्यायिक कार्य से अलग रखा. इस दौरान परिसर में हुए सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं द्वारा तीस हजारी कोर्ट परिसर दिल्ली पुलिस द्वारा अधिवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करते हुए गोली फायरिंग को घोर भर्त्सना किया. साथ ही कहा कि अधिवक्ता कोर्ट का ऑफिसर होता है.

जिससे पीड़ित पक्ष हमेशा न्याय का अपेक्षा करता है. लेकिन दिल्ली पुलिस द्वारा अधिवक्ता पर बर्बरता पूर्ण कार्रवाई क्षमा योग्य नहीं है. अधिवक्ता कोई अपराधी नहीं है जिस पर गोली फायरिंग की जाय. साथ ही वक्ताओं ने अधिवक्ताओं को पूख्ता सुरक्षा देने की मांग की. साथ ही तीस हजारी कोर्ट में हुए घटना में शामिल दोषी पुलिस कर्मी को सख्त से सख्त कानूनी कारवाई की मांग की.

इस दौरान मौके पर संघ महासचिव संजीव कुमार झा, धीरेंद्र कुमार मिश्रा, कमल नारायण यादव, रानी विक्रम शीला, अंजनी कुमार, तुफान चंद्र, शिवनाथ चौधरी, मदन कुमार, दिनेश कुमार यादव, विजय कुमार भारती, गणेश पूर्वे, धीरेंद्र कुमार झा, वालेश्वर प्रसाद यादव, हीरा लाल यादव, कुमार सतीश, राकेश रंजन, अरूण कुमार झा, साकेत कुमार, दिग्विजय सिंह सहित अन्य उपस्थित थे.

पुलिस व अधिवक्ताओं में हुई थी झड़प

जानकारी के अनुसार तीस हजारी कोर्ट परिसर में पार्किंग को लेकर पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच झड़प हो गया था. इसी दौरान विवाद बढ गया था. इसके बाद भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस द्वारा फायरिंग की गई. जिसमें दो अधिवक्ता घायल हो गया था.

जयनगर. दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में अधिवक्ताओं के साथ पुलिस बर्बरता के विरोध में अनुमंडल अधिवक्ता संघ जयनगर के सदस्यों ने सोमवार को न्यायिक कार्य से अपने-आपको अलग रखा. अधिवक्ताओं पर पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए दोषियों के खिलाफ शीघ्र कार्रवाई करने की मांग की है.

अनुमंडल अधिवक्ता संघ के सदस्यों ने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कहा है कि पिछले 2 नवंबर को दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में पुलिस द्वारा अधिवक्तओं पर की गयी जानलेवा हमला निंदनीय व सभ्य समाज को कलंकित करने वाला है. ऐसे में अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम अप्रासंगिक हो गया है. अधिवक्ता संघ ने दोषियों पर कठोर कारवाई की मांग की है. ताकि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति को रोका जा सके.

बेनीपट्टी. व्यवहार न्यायालय के न्यायालयीय कार्यों का अधिवक्ताओं ने बहिष्कार किया. बता दें कि बीते दिनों दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में गाड़ी पार्किंग को लेकर पुलिस कर्मियों और अधिवक्ताओं में हुए विवाद को लेकर कार्यों का बहिष्कार किया गया. विवाद के दौरान दोनों पक्षों में न केवल मारपीट हुई. बल्कि फायरिंग की घटना भी घटित हुई.

जिसमें कई अधिवक्ता घायल हो गये थे. अधिवक्ताओं ने कहा कि पुलिस प्रशासन अधिवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करने का काम किया है. अधिवक्ताओं ने कहा कि पूरे देश के अधिवक्ता पुलिस प्रशासन के इस रवैये की घोर निंदा और विरोध कर रहा हैं. अधिवक्ताओं ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराये जाने और दोषी कर्मियों के खिलाफ कारवाई सुनिश्चित किये जाने की मांग की.

कार्य बहिष्कार करने वालों में अधिवक्ता संघ के महासचिव परमेश्वर यादव, अध्यक्ष राजकुमार वर्मा, कोषाध्यक्ष श्याम कुमार मिश्र, संयुक्त सचिव ब्रजेश कुमार सिंह, अधिवक्ता रामभरोस यादव, रमेश कुमार मेहता, राम प्रबोध सिंह, विजय कुमार यादव, रामनरेश यादव, राम सुंदर चौधरी, ईश्वर चंद्र झा, रोविन कुमार रमण, समीर कुमार, वैद्यनाथ यादव, पवन कुमार, प्रवीण कुमार, ज्ञानेश कुमार झा, आदित्य कुमार चौधरी, सुशील कुमार श्रीवास्तव, विनोद ठाकुर, शंभूनाथ, सुरेंद्र राय, रतीश कुमार चौधरी, आदित्य ठाकुर व संतोष कुमार झा सहित कई अधिवक्ता शामिल थे.

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