मधुबनी : पर्व त्योहार के मौसम में मिठाई की मांग बढ जाती है. शहर एवं गांव में बाहर से आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होने एवं उन लोगों के द्वारा भी मिठाई की खरीद करने, देवी देवताओं पर प्रसाद के रूप में मिठाई चढ़ाने की परंपरा के कारण मिठाई दुकानदारों की बिक्री भी बढ़ जाती है.
पर इस पावन पर्व के मौके पर बाजार में दुकानदार अधिक से अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों के सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं. सूत्रों के अनुसार अधिकतर मिठाई दुकानदारों के द्वारा सिंथेटिक मिठाई की सप्लाई की जा रही है. इन नुकसानदेह केमिकल व सिंथेटिक से बने मिठाइ को इस आकर्षण व बेहतर तरीके से दुकान में सजाया जाता है कि ग्राहक इस मिठाई की ओर खिंचे चले आते हैं.
ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है पर प्रशासन द्वारा इस संबंध में सिंथेटिक मिठाई बेचने वालों पर कोई कारवाई नहीं की जा रही है. हालांकि अब भी कुछ दुकानदार सिंथेटिक या मिलावटी सामान अपने दुकान में नहीं रखते. उन दुकानों में शुद्ध मिठाई बनता व बिकता है.
बाहर से आता है सिंथेटिक खोआ
एक मिठाई दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शहर में चार से पांच ऐसे होलसेल की दुकाने हैं जो बाहर के राज्यों से नकली खोआ, सिंथेटिक पनीर, डोडा बर्फी, मिल्क केक सहित कई रंग बिरंगे बर्फी एवं छेना की मिठाई मंगाते हैं. सिंथेटिक मिठाई उत्तर प्रदेश के आगरा, कानपुर, राजस्थान के जयपुर एवं पटना से मंगाते हैं. व्यापक पैमाने पर इन सामान का सप्लाई हो रही है. फिर छोटे छोटे दुकानदार सिंथेटिक खोआ व अन्य सामान ले जाकर अपने दुकान पर बेचते हैं. कहने का मतलब यह कि शहर से लेकर गांव घरों तक में यह सिंथेटिक खोआ से बनी मिठाई पहुंच चुकी है.
कम कीमत पर मिल जाती है मिलावटी खोआ की मिठाई: जानकारी के अनुसार सिंथेटिक मिठाई व पनीर बाजार भाव से काफी कम कीमत पर मिठाई दुकानदार को उपलब्ध हो जाता है. खोआ थोक भाव में क्विंटल के हिसाब से प्रतिदिन सप्लाई हो रहा है. लक्ष्मी पूजा, काली पूजा एवं छठ पूजा में भारी मात्रा में नकली मिठाई के बाजार में उपलब्ध रहने की बात कही जा रही है. नकली मिठाई बेचने वालों पर कोई कारवाई नहीं होने के कारण इन दुकानदारों का मनोबल बढ़ा रहता है. और वे खुलेआम नकली मिलावटी मिठाइ बेच रहे हैं.
नकली बूंदी से बनता लड्डू : बाजार में थोक विक्रेताओं द्वारा बूंदी भी बेची जा रही है. कहा जाता है कि यह बूंदी भी सिंथेटिक है. बोरा में पैक होकर मखाना की तरह यह बूंदी अन्य राज्यों से आती है. किलो भाव में दुकानदार छना हुआ सूखा बूंदी खरीदते हैं फिर उस सिंथेटिक बूंदी को चासनी में देकर लड्डू बनाया जाता है. बाजार में धड़ल्ले से इसे बेचा जा रहा है.