मधेपुरा.
अपने बच्चों से भरण पोषण प्राप्त करना बेहतर रख-रखाव की उम्मीद करना वरिष्ठ नागरिक व माता-पिता का अधिकार है, जबकि इन सारी सुविधाओं को प्रदान करना युवाओं का कर्तव्य है. कर्तव्य से विमुख होने पर सरकार द्वारा इसके लिए कानून बनाकर प्रावधान किये गये हैं. अनुमंडल स्तर पर इसकी सुनवाई होती है और फिर जिला स्तर पर अपील की व्यवस्था है. प्रधान जिला जज बलराम दुबे ने सोमवार को वरिष्ठ नागरिक भरण पोषण अधिकार व विधिक प्राधिकार द्वारा इस दिशा में किये जा रहे कार्यों की जानकारी देते हुये यह बातें कही. उन्होंने कहा कि हर धर्म ग्रंथ पुराण में वर्णित है कि माता-पिता व बुजुर्गों की सेवा करना पुण्य है. लिहाजा किसी के भी बहकावे में आकर इस पुण्य से वंचित न हो.दान पात्र हो जायेगा कैंसिल, अगर नहीं किया सेवा शर्तों का पालनजिला जज ने कहा कि अगर कोई बुजुर्ग या अभिभावक अपने संतान को इस बिना पर संपत्ति दान देते हैं कि उनका भरण पोषण किया जाय, लेकिन अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो दान पत्र को निरस्त किया जा सकता है. परिवार न्यायालय के प्रधान जज दिग्विजय कुमार ने कहा कि माता-पिता जिस तरह अपने संतान को आंखों का तारा बनकर लालन-पालन करते हैं उसे याद रखते हुये संतान को भी अपना कर्तव्य निभाना चाहिए. डीएलएसए सचिव पूजा कुमारी साहा ने कहा कि जिला विधिक प्राधिकार पीड़ित को न्याय दिलाने की दिशा में सदैव सचेष्ट है. कार्यक्रम को बार एसोसिएशन अध्यक्ष राजकिशोर प्रसाद यादव, सचिव सदानंद यादव, विजय यादव आदि ने संबोधित किया. स्वागत गान रितु कुमारी, संचालन अधिवक्ता मो रुस्तम ने किया.
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