मधेपुरा. शहर के ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के समीप से बेलहाघाट जाने वाली सड़क की स्थिति दयनीय हो चुकी है. यह सड़क क्षेत्र के स्थानीय लोगों, स्कूली बच्चों व राहगीरों के लिए एक समस्या बनी चुकी है. प्रतिदिन इस सड़क से हजारों लोग गुजरते हैं, जिसमें मुख्य रूप से छात्र-छात्राएं शामिल हैं, जो अपनी पढ़ाई के साथ-साथ दैनिक जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस मार्ग का उपयोग करते हैं, लेकिन बदहाली और खस्ता स्थिति के कारण यह सड़क उनके लिए खतरे और असुविधा का कारण बन गयी है. इस सड़क की खराब स्थिति का मुख्य कारण अनदेखी और स्थानीय अधिकारियों की उदासीनता है. सड़क पर जगह-जगह गड्ढे हो गये हैं, इनमें पानी भर जाता है और बारिश के मौसम में यह गड्ढे और भी बड़े हो जाते हैं. सड़क का लगभग अधिकांश हिस्सा टूटा-फूटा है, जिससे आवागमन में कठिनाई होती है. धूल और मिट्टी का स्तर इतना अधिक हो गया है कि यहां से गुजरने वाले लोग, खासकर बच्चे और बुजुर्ग, धूल के कारण बीमारियों का सामना कर रहे हैं. धूल की वजह से बच्चों को श्वसन संबंधी समस्याएं भी धूल की वजह से बच्चों को श्वसन संबंधी समस्याएं भी हो रही हैं. साथ ही उड़ती धूल व धूल के रेत में फंस कर कई स्कूली बच्चे चोटिल हो चुके हैं. कई बार बच्चे खिसकने या गिरने से चोटें आयी हैं, जो उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा बन चुका है. बेलहाघाट जाने वाली मुख्य सड़क को जोड़ने वाली छोटी-छोटी सड़कें भी इस समस्या से अछूती नहीं हैं. बना है रैनकट, हादसों का डर सड़कों की भी स्थिति बदतर है. इन रास्तों में रैनकट के कारण भी परेशानी बढ़ गयी है. ठंड के मौसम में कुहासे के बाइक चालकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा. पैदल चलने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन सड़कों पर कोई मरम्मत कार्य नहीं हो रहा है, जिससे स्थिति और भी खराब हो चुकी है. इससे न केवल स्थानीय लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है. लोगों ने जतायी नाराजगी स्थानीय लोगों में इस समस्या को लेकर नाराजगी व्याप्त है. नीरज कुमार दास, सुदर्शन कुमार चौरसिया, बबलु कुमार, सोहन राम, अर्जुन ऋषिदेव, मो शाकिब जैसे अनेक निवासी इस सड़क की खराब हालत को लेकर बार-बार स्थानीय जनप्रतिनिधियों व संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन दे चुके हैं. उन्होंने समय-समय पर अवगत कराया है कि इस सड़क की मरम्मत आवश्यक है, ताकि आवागमन आसान और सुरक्षित हो सके. लेकिन, इन सभी शिकायतों के बावजूद किसी भी स्तर पर कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है. बच्चों का स्कूल जाना जोखिम भरा स्थानीय ग्रामीणों की माने तो वे अब थक चुके हैं, उन्हें लगने लगा है कि उनकी शिकायतें सुनी नहीं जातीं और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं होता. यह जीवन गुणवत्ता को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है. बच्चों का स्कूल जाना जोखिम भरा हो गया है और सड़क की खराब हालत से दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है. यदि शीघ्र ही इस सड़क की मरम्मत नहीं की गयी, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है.
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