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कुलपति की अध्यक्षता में 22 व 29 नवंबर को होगी सिंडिकेट की बैठक

भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में आगामी वित्तीय वर्ष 2026–27 के बजट पर मंथन को लेकर सिंडिकेट की दो महत्वपूर्ण बैठकें तय की गयी हैं.

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में प्रस्तावित बजट पर दो अहम बैठकें प्रतिनिधि, मधेपुरा भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में आगामी वित्तीय वर्ष 2026–27 के बजट पर मंथन को लेकर सिंडिकेट की दो महत्वपूर्ण बैठकें तय की गयी हैं. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जारी अधिसूचना में बताया गया है कि दोनों बैठकें माननीय कुलपति प्रो अवधेश झा की अध्यक्षता में होगी. बैठकों को विश्वविद्यालय की भविष्य की योजनाओं, विकास कार्यों और आर्थिक प्रबंधन से जुड़ा अहम मंच माना जा रहा है. जानकारी के अनुसार, पहली बैठक 22 नवंबर को अपराह्न साढ़े 12 बजे आयोजित होगी. यह बैठक विश्वविद्यालय प्रशासनिक परिसर स्थित कुलपति सचिवालय के सभा भवन में होगी. वहीं दूसरी बैठक 29 नवंबर को अपराह्न साढ़े 12 बजे इसी स्थल पर आयोजित की जायेगी. दोनों बैठकों में सिंडिकेट सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य बतायी गयी है. विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनुरोध किया है कि सभी सदस्य निर्धारित तिथि व समय पर उपस्थित होकर प्रस्तावित बजट पर अपने सुझाव रखें, ताकि नए सत्र के लिए ठोस वित्तीय खाका तैयार किया जा सके. साथ ही आश्वस्त किया गया है कि बैठक के दिन समयानुसार कार्यसूची उपलब्ध करा दी जायेगी. सिंडिकेट की ये दोनों बैठकें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक तथा प्रशासनिक गतिविधियों को गति देने के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही है. प्रशासन का कहना है कि बजट स्वीकृत होने के बाद अधूरे विकास कार्यों को भी आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. ………………………….. बीएनएमयू ने की प्रो जवाहर पासवान की अभिषद सदस्यता समाप्ति की अधिसूचना जारी प्रधानाचार्य पद पर नियुक्ति के बाद नियमों के तहत खत्म हुई सदस्यता प्रतिनिधि, मधेपुरा भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा ने एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक आदेश जारी करते हुए प्रो जवाहर पासवान की अभिषद की सदस्यता तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी है. विश्वविद्यालय की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग पटना की अनुशंसा पर प्रो पासवान की नियुक्ति एएस कॉलेज उदाकिशुनगंज के प्रधानाचार्य पद पर की गयी है. अधिसूचना के अनुसार इस नए पदभार ग्रहण करने के बाद बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 (यथा संशोधित अधिनियम) के प्रावधानों के तहत उनकी अभिषद सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है. कुलसचिव द्वारा जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि प्रधानाचार्य पद पर योगदान देने के उपरांत यह निर्णय तत्काल प्रभाव से लागू माना जायेगा. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे नियमित प्रक्रिया का हिस्सा बताया है. अधिकारियों का कहना है कि अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार एक ही व्यक्ति एक साथ दोनों जिम्मेदारियां नहीं निभा सकता, इसलिए अभिषद सदस्यता समाप्त करना अनिवार्य था. प्रो पासवान को नए दायित्व के लिए विश्वविद्यालय ने बधाई दी है. वहीं विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने आशा व्यक्त की है कि वे अपने अनुभव और कार्यशैली से कॉलेज के शैक्षणिक माहौल को और मजबूत करेंगे.

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