ग्वालपाड़ा. प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत सरौनीकला पंचायत के सरौनी में आयोजित दो दिवसीय संतमत सत्संग के प्रथम दिन मंगलवार को बैजनाथपुर आश्रम सहरसा से आये स्वामी योगानंद जी महाराज ने प्रवचन किया. योगानंद जी महाराज ने कहा कि मनुष्य जीवन बड़े सौभाग्य से प्राप्त होता है. अतः व्यक्ति को सत्संग और भजन में लीन रहना चाहिए. उन्होंने बताया कि सत्संग एक ऐसा माध्यम है, जो लोगों को द्वेष, ईर्ष्या तथा विभिन्न नकारात्मक विचारों से दूर कर सही मार्ग पर अग्रसर करता है. उन्होंने कहा कि जीवन में सुख-शांति भौतिक वस्तुओं से नहीं मिल सकती, बल्कि संत-सतगुरु के उपदेशों का पालन करने और सत्संग में आने से ही प्राप्त होती है. स्वामी सुभाषानंद जी महाराज ने कहा कि असुर स्वभाव वाले मनुष्य प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों को नहीं समझ पाते, जिससे उनमें न तो बाहरी और न ही भीतरी शुद्धि होती है. ऐसे व्यक्ति जगत आश्रयरहित, असत्य और ईश्वर-गुरु के बिना स्वयं को प्रधानता देते हैं. उन्होंने गुरु की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि इस धरातल पर गुरु के बिना मनुष्य में मनुष्यता संभव नहीं है. संत कबीर, महर्षि मेहीं परमहंस जी महाराज ने भी गुरु की महत्ता को प्रतिपादित किया है. सत्संग में स्वामी योगानंद जी महाराज , सुभाषानंद जी महाराज ,स्वामी सदानंद बाबा ने भी प्रवचन किया. मौके पर कुलेशवर मंडल, चन्देश्वरी मंडल, मोतीलाल मंडल, गोपाल कुमार ,महेंद्र मंडल, योगेंद्र मंडल, मनोज मंडल आदि मौजूद थे.
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