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एनएसएस युवाओं में जगाता है सेवा भावना : कुलपति

एनएसएस युवाओं में जगाता है सेवा भावना : कुलपति

एनएसएस को बायब्रेंट बनाने पर जोर परामर्शदात्री समिति की बैठक में लिए गए कई अहम फैसले मधेपुरा. बीएनएमयू में बुधवार को आयोजित एनएसएस परामर्शदात्री समिति की बैठक में कुलपति प्रो बीएस झा ने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना युवाओं में मानवीय मूल्यों, नैतिक संस्कारों और सामाजिक सरोकारों को मजबूत करती है. उन्होंने कहा कि एनएसएस का आदर्श वाक्य ‘मैं नहीं, बल्कि आप’ निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा की प्रेरणा देता है. कुलपति ने कहा कि आज देश की 65 फीसदी आबादी युवा है. उनकी ऊर्जा को राष्ट्र-निर्माण में लगाने के लिए एनएसएस को बायब्रेंट बनाना समय की जरूरत है. डिजिटल भारत और कौशल भारत जैसे कार्यक्रमों में युवाओं की निर्णायक भूमिका है और एनएसएस इन पहलों को जन-जन तक पहुंचाने का माध्यम बन सकता है. राष्ट्र निर्माण में एनएसएस की अहम भूमिका उन्होंने कहा कि एनएसएस का कार्यक्षेत्र समाज और राष्ट्र के हर आयाम को छूता है. शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, आपदा राहत, पुनर्वास कार्यक्रम और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान इसकी प्रमुख गतिविधियों का हिस्सा हैं. एनएसएस का सफर और विस्तार क्षेत्रीय निदेशक विनय कुमार ने बताया कि आजादी के बाद डॉ राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली यूजीसी समिति ने शैक्षणिक संस्थानों में स्वैच्छिक राष्ट्रीय सेवा शुरू करने की अनुशंसा की थी. 1969 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मशताब्दी वर्ष में तत्कालीन शिक्षामंत्री डॉ वीकेआरवी राव के प्रयास से एनएसएस लागू हुआ. शुरुआत में 37 विश्वविद्यालयों और 40 हजार स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुई यह योजना आज 657 विश्वविद्यालयों और 51 शैक्षणिक संस्थानों तक फैल चुकी है. इसमें 39 लाख 87 हजार से अधिक स्वयंसेवक जुड़े हैं. महाविद्यालयों का एक सप्ताह में पंजीयन अनिवार्य बैठक में यह निर्णय लिया गया कि माय भारत पोर्टल पर सभी महाविद्यालयों, कार्यक्रम पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों का एक सप्ताह के भीतर पंजीयन सुनिश्चित किया जाए. निर्धारित समय में पंजीयन नहीं कराने वाले महाविद्यालयों से एनएसएस इकाई वापस लेने की प्रक्रिया शुरू होगी. स्वयंसेवकों का डेटाबेस और पूर्व स्वयंसेवकों की मदद सभी वर्तमान और पूर्व स्वयंसेवकों का विस्तृत डेटाबेस तैयार किया जायेगा. एनएसएस के विकास में पूर्व स्वयंसेवकों की भागीदारी बढ़ायी जायेगी. प्रोत्साहन योजनाएं : आई-कार्ड, प्रमाण-पत्र, पॉकेट अलाउंस बैठक में कार्यक्रम पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों को प्रोत्साहित करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. कार्यक्रम पदाधिकारियों का ओरिएंटेशन कराया जायेगा स्वयंसेवकों और पदाधिकारियों को आई-कार्ड जारी होंगे. सात दिवसीय विशेष शिविर में शामिल स्वयंसेवकों को प्रमाण-पत्र मिलेगा. कार्यक्रम पदाधिकारियों को अनुभव प्रमाण-पत्र जारी किया जायेगा संतोषजनक कार्य करने वाले कार्यक्रम पदाधिकारियों को पॉकेट अलाउंस दिया जायेगा विश्वविद्यालय स्तर पर हर वर्ष तीन उत्कृष्ट कार्यक्रम पदाधिकारियों और 10 स्वयंसेवकों को सम्मानित किया जायेगा. —– एनएसएस दीक्षांत समारोह और छमाही बुलेटिन हर वर्ष एनएसएस डे पर एनएसएस दीक्षांत समारोह आयोजित किया जायेगा. विश्वविद्यालय स्तर पर एनएसएस का एक छमाही बुलेटिन प्रकाशित करने का भी फैसला लिया गया. साथ ही वर्ष 2026-27 के एनएसएस बजट पर चर्चा कर संशोधित रूप में वित्त समिति के समक्ष भेजने का निर्णय हुआ. कार्यक्रम की गरिमामयी शुरुआत और समापन कार्यक्रम की शुरुआत स्वामी विवेकानंद के चित्र पर पुष्पांजलि से हुई. अतिथियों का स्वागत हस्तकरघा निर्मित अंगवस्त्रम् और पुष्पगुच्छ से किया गया. राष्ट्रगान के साथ बैठक का समापन हुआ.स्वागत कुलसचिव प्रो अशोक कुमार ठाकुर ने किया. संचालन कार्यक्रम समन्वयक डॉ सुधांशु शेखर और धन्यवाद ज्ञापन वित्त पदाधिकारी डॉ सुनील कुमार ने किया. मौके पर कार्यक्रम में छात्र संकाय अध्यक्ष प्रो अशोक कुमार सिंह, सामाजिक विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो कैलाश प्रसाद यादव, रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो नरेश कुमार, प्रो एमआई रहमान, प्रो सुधीर कुमार, डॉ माधवेंद्र झा, प्रो उषा सिन्हा, शशिकांत कुमार, सरवर मेहदी, कै गौतम कुमार, हुस्न जहां, डॉ संजय कुमार, स्वयंसेवक आनंद आशीष आदि मौजूद थे.

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