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मनोकामना शक्ति पीठ के रूप में ख्याति है नयानगर की मां भगवती

मंदिर एवं मंदिर परिसर में प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रहेगा.

– नयानगर की भगवती पूरी करती है भक्तों की मनोकामना – आप रूपी है माता भगवती की प्रतिमा- भगवान विष्णु द्वारा अस्थापित की गई थी माता की प्रतिमा सुमन सिंह नयानगर, मधेपुरा. उदाकिशुनगंज प्रखंड अंतर्गत नयानगर पंचायत के ग्राम नयानगर स्थित मां भगवती मंदिर की महिमा दूर-दराज़ तक फैली हुई है. शारदीय नवरात्र को लेकर मां भगवती मंदिर में तैयारी अंतिम चरण में है. नयानगर मंदिरके न्यास कमेटी के सदस्य ने बताया कि मंदिर में पूजा पाठ को लेकर व्यापक रूप से तैयारी की जा रही है. मंदिर एवं मंदिर परिसर में प्रशासनिक व्यवस्था चुस्त दुरुस्त रहेगा. मंदिर से जुड़े हुए इतिहास के अनुसार यह मंदिर त्रेता युग में स्थापित हुआ था. इस संबंध में गीता प्रेस गौरखपुर द्वारा प्रकाशित महाशक्ति विशेषांक में लिखित रूप में यह है कि तत्कालीन भागलपुर जिला के उदाकिशुनगंज प्रखंड क्षेत्र स्थित नयानगर में मां भगवती की एक प्राचीन मंदिर है. इससे मां भगवती की मूर्ति स्थापित है. यह प्रतिमा भगवान विष्णु द्वारा स्थापित की गयी थी. जो कि अब मधेपुरा जिला के अंतर्गत आता है. यह प्राचीन मंदिर अव नये व भव्य रूप में पुनः बनायी गयी है. यह सप्ताह के दो दिन वेरागन लगता है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त जन अपने मनोकामना पूर्ति करने के लिए पूजा अर्चना करने व देवी की आराधना करने पहुंचते है. नवरात्र में आयोजन कमेटी के द्वारा भव्य मेला लगाया जाता है और भव्य पंडाल का निर्माण किया जाता है. कहा जाता है कि यहा मांगी गयी, मन्न कभी खाली नहीं जाती है. – आप रूपी है माता भगवती की प्रतिमा- धार्मिक मान्यताएं व किवदंतियों तो कई है जिसमें एक यह है कि प्रारंभिक काल में इस मंदिर की व्यवस्था किसी राजा राजदेव द्वारा की जाती थी. इसके नियमों का पालन अभी तक पुरोहित द्वारा होता है.पूजा अर्चना दुहाई राजा रामदेव की कह कर आरम्भ किया जाता है.यहां काले पत्थर की मूर्ति आपरूपी है.जिसकी प्राण प्रतिष्ठा भगवान विष्णु ने की थी. मां भगवती सिंह के ऊपर एक कमल आसन पर विराजमान हैं.माँ भगवती वरदाई अभय मुद्रा मैं दृष्टिगोचर करती है. माँ की चार भुजा में से दो भुजा ही बाहर दिखाई देती है.मां के हाथ में कोई अस्त्र शस्त्र नहीं है, इसलिए इन्हें अभय वरदाई मुद्रा में पूजा जाता है.वही पर माँ भगवती के प्रांगण में बलि देने की वर्षो पुरानी प्रथा है.पहले यह मंदिर वन प्रांत में अवस्थित था जिस कारण यहा चारों ओर श्री खंड चंदन का वन था जो अव भी गांव में विभिन्न स्थानों पर पाया जाता है. नवरात्र के अवसर पर भजन कीर्तन ओर प्रवचन दस दिनों तक आयोजित किया जाता है.इस बार भी हर साल की भांति कुमारी अलका द्विवेदी(शिद्दी)मानस रत्न वेदान्त विदुषी चित्रकूट धाम से अपने टीम के साथ पधार रही है. उनके द्वारा श्री राम चरित्र मानस कथा का मंचन किया जायेगा. नवरात्र के दस दिनों तक संध्या चार बजे से महा आरती तक संगीत मय प्रवचन किया जायेगा. – माता की महिमा है निराली – कहा जाता है कि जिस स्थान पर मां भगवती स्थापित है मां के गर्भ गृह के ठीक सामने यंत्री स्थापित है जो आंतरिक रूप से मां भगवती से जुड़ा हुआ है. मां की महिमा की ख्याति दूर-दूर इलाके में बढ़ रही है.

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