स्वच्छता अभियान का संदेश देने वाले अधिकारी ही सुविधा सुधार में उदासीन, महिलाओं को झेलनी पड़ती है सबसे ज्यादा फजीहत कुमारखंड. प्रखंड सह अंचल कार्यालय, जो गांवों के विकास की धुरी माना जाता है, खुद ही बदहाली के दौर से गुजर रहा है. कार्यालय परिसर में आम लोगों के लिए बुनियादी सुविधाओं का भारी अभाव है. खाद्य उपभोक्ता कार्यालय और बाल विकास परियोजना कार्यालय में प्रतिदिन सैकड़ों लोग विभिन्न कार्यों के सिलसिले में आते हैं, लेकिन उनके लिए न बैठने की व्यवस्था है, न ही शौचालय की. हेल्प डेस्क तक नहीं होने के कारण लोगों को कार्यालय में इधर-उधर भटकना पड़ता है. शौचालय नहीं रहने से यहां आने वाले लोगों के साथ-साथ कर्मचारियों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. पुरुष किसी तरह बाहर जाकर निपट लेते हैं, लेकिन महिलाओं को खुले में जाने की मजबूरी के कारण अक्सर शर्मसार होना पड़ता है. 21 पंचायतों के 72 गांवों से बड़ी संख्या में लोग यहां रोजाना पहुंचते हैं, जिससे समस्या और भी गंभीर हो गयी है. आश्चर्य की बात यह है कि कार्यालय में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए शौचालय मौजूद तो हैं, लेकिन रख-रखाव के अभाव में पूरी तरह बेकार हो चुके हैं. शौचालयों के बाहर बड़े बक्से रखकर उनका उपयोग बंद करा दिया गया है. लोगों का आरोप है कि अधिकारी भी इन सुविधाओं को ठीक कराने में कोई रुचि नहीं लेते, जिसका सीधा नुकसान आम जनता को हो रहा है. ग्रामीण रविशंकर प्रसाद, मनोरमा देवी, सिम्पली कुमारी, सुलेखा कुमारी, दयमंती देवी, वीणा देवी सहित कई लोगों ने कहा कि एक तरफ गांवों में शौचालय निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. स्वच्छता के प्रति जागरूकता फैलाई जा रही है, जबकि दूसरी ओर स्वयं सरकारी कार्यालय ही स्वच्छता के बुनियादी मानकों पर खरे नहीं उतरते. ग्रामीणों ने कार्यालय परिसर में उपयोगी शौचालयों के निर्माण व पुराने शौचालयों की मरम्मत की मांग की है. इस संबंध में बीडीओ प्रियदर्शी राजेश पायरट ने बताया कि शौचालयों की स्थिति की जांच कर समस्या का स्थायी समाधान जल्द किया जाएगा.
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