भारत के स्वतंत्रता संग्राम, जैव विविधता संरक्षण व आइटीके में आदिवासियों का योगदान सेमिनार की सफलता के लिए नेशनल, इंटरनेशनल और लोकल कमेटी के हुआ गठन मधेपुरा. भूपेंद्र नारायण मंडल वाणिज्य महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन 28 व 29 नवंबर को होगा. सेमिनार की सफलता के लिए कॉलेज में आयोजित बैठक में विभिन्न स्तरों पर कमेटी का गठन किया गया. भारत के स्वतंत्रता संग्राम, जैव विविधता संरक्षण व स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान (आइटीके) में आदिवासियों का योगदान विषय पर 28 और 29 नवंबर को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन होगा. कॉलेज के एनएसएस, डिपार्टमेंट ऑफ बॉटनी और आइक्यूएसी के बैनर तले आयोजित होने वाले सेमिनार में विभिन्न देशों के विषय विशेषज्ञ और प्रतिभागियों के भाग लेने की संभावना है. सेमिनार आयोजन समिति के अध्यक्ष सह बीएन एमवी कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो संजीव कुमार ने बताया कि सेमिनार को ज्ञानवर्धक और जनोपयोगी बनाने के लिए तैयारी की जा रही है. उन्होंने बताया कि कुलपति प्रो बीएस झा को सेमिनार का मुख्य संरक्षक बनाया गया है. सेमिनार के मुख्य अतिथि विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के पूर्व कुलपति प्रो रविंद्र नाथ भगत रहेंगे. प्रधानाचार्य प्रो संजीव कुमार ने बताया कि डॉ सत्येंद्र कुमार सेमिनार के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी बनाया गया है, जबकि डॉ शंभू राय, डॉ प्रभाकर कुमार और डॉ कमलेश कुमार को जॉइंट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी बनाया गया है. डॉ वीणा प्रसाद को कोषाध्यक्ष और डॉ संजय कुमार उर्फ संजय परमार को मीडिया इंचार्ज की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. सेमिनार में विभिन्न विषयों पर होगी चर्चा भारत के आदिवासी और आजादी का आंदोलन में बिरसा मुंडा की भूमिका, भारत के आजादी के आंदोलन में अविभाजित बिहार के आदिवासियों का योगदान, ब्रिटिश राज के खिलाफ आदिवासियों को एकजुट करने में तिलका मांझी का योगदान, भारत के गुमनाम आदिवासी आजादी के योद्धा विषय पर प्रतिभागी देंगे अपना आलेख. इसके अलावा आदिवासी साहित्य और आजादी का आंदोलन, संगीत, डांस, भाषा, त्योहार, कला और क्राफ्ट वगैरह में आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत और उनका बचाव, दवाओं, खेती और प्राकृतिक संसाधनों के मैनेजमेंट के क्षेत्र में जनजातियों का स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान. आइटीके की एक अनमोल विरासत के तौर पर एथनोबॉटनी, खेती के तरीकों को विकसित करने में जनजातियों की भूमिका, जनजातियों के क्लाइमेट के हिसाब से खेती के तरीके, जनजातियों की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने और बचाने की स्ट्रेटेजी सहित अन्य विषय शामिल हैं. 15 नवंबर तक जमा होगा शोध आलेख बीएनएमवी कॉलेज में आयोजित इंटरनेशनल सेमिनार के लिए फुल लैंग्थ शोध आलेख भेजने की अंतिम तिथि 15 नवंबर निर्धारित की गयी है, जबकि एब्सट्रेक्ट जमा करने की अंतिम तिथि 10 नवंबर निर्धारित है. प्रतिभागियों के लिए शुल्क का भी निर्धारण कर दिया गया है. शिक्षकों के लिए दो हजार रुपये, शोधार्थियों के लिए 15 सौ रुपये और छात्रों के लिए एक हजार रुपये पंजीयन शुल्क लगेंगे.
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