मधेपुरा.
बीएनएमवी कॉलेज, साहुगढ़ में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का शनिवार को समापन हो गया. भारत के स्वतंत्रता संग्राम, जैव विविधता संरक्षण और स्वदेशी पारंपरिक ज्ञान में आदिवासियों का योगदान विषय पर आधारित सेमिनार में शोधकर्ताओं व विशेषज्ञों की भागीदारी रही. कार्यक्रम के दौरान लगायी गयी विशेष फोटो गैलरी प्रदर्शनी सेमिनार का मुख्य आकर्षण बनी. गैलरी में आदिवासी इतिहास, बिरसा मुंडा और अन्य जननायकों के संघर्ष, परंपराओं, संस्कृति, वन-संरक्षण की पद्धतियों तथा स्वदेशी औषधीय ज्ञान से जुड़ी दुर्लभ तस्वीरों को शामिल किया गया था. महाविद्यालय के विशेषज्ञों ने प्रतिभागियों को गैलरी का अवलोकन कराते हुए बताया कि आदिवासी समुदायों ने स्वतंत्रता संग्राम में निर्णायक भूमिका निभायी. आज भी उनका पारंपरिक ज्ञान जैव विविधता संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है. स्वदेशी जीवनशैली मानव व प्रकृति के बीच संतुलन का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत करती है. सेमिनार के अंतिम दिन विशेषज्ञों ने कहा कि इस मंच ने युवाओं को आदिवासी समाज की गौरवशाली विरासत को गहरायी से समझने का अवसर दिया. समापन सत्र में आयोजक मंडल ने सभी अतिथियों व प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन आने वाले समय में शोध व सामाजिक जागरूकता को मजबूत आधार प्रदान करेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

