मधेपुरा. कुमारखंड प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत रामगंज में चल रही ‘वैज्ञानिक मधुमक्खी प्रबंधन व जैव-विविधता संवर्धन परियोजना’ का जिलाधिकारी तरनजोत सिंह ने शुक्रवार को निरीक्षण किया. उन्होंने इसे उत्तर बिहार में वैज्ञानिक शहद उत्पादन गलियारे व जैव-विविधता पुनर्स्थापन की दिशा में एक परिवर्तनकारी पहल बताया. डीएम ने रमालया फाउंडेशन तथा इसकी सामाजिक इकाई ‘अर्थ एंड फॉरेस्ट’ की विशेष सराहना की. उन्होंने कहा कि प्रशांत कुमार द्वारा समाज को प्रकृति, जैव-विविधता और वैज्ञानिक आजीविका से जोड़ने का प्रयास प्रशंसनीय व प्रेरणादायक है. डीएम ने सीएसआइआर-एनबीआरआइ/ एनबीआरएल लखनऊ की वैज्ञानिक टीम की भी सराहना की, जो सीएसआइआर फ्लोरीकल्चर मिशन फेज टू के तहत परियोजना का मार्गदर्शन कर रही है. उन्होंने मुख्य वैज्ञानिक डॉ बिकर्मा सिंह और डॉ सुशील कुमार द्वारा किसानों को प्रदान किये जा रहे वैज्ञानिक प्रशिक्षण, परागण पारिस्थितिकी व वनस्पति योजना के लिए आभार व्यक्त किया. निरीक्षण के दौरान डीएम ने किसानों से संवाद किया. प्रमाणपत्र वितरित किया. मधुमक्खी बक्सों, जैव-विविधता क्षेत्रों व परियोजना स्थल का अवलोकन किया तथा किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कृषि, उद्यान, वन विभाग, केवीके, जीविका तथा प्रखंड/जिला प्रशासन को एकजुट होकर परियोजना को पूर्ण सहयोग देने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि रामगंज भविष्य में उत्तर बिहार का प्रमुख वैज्ञानिक शहद उत्पादन व जैव-विविधता मॉडल बन सकता है. डीएम ने परियोजना को पूर्ण प्रशासनिक समर्थन देने का आश्वासन दिया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

