सिंहेश्वर. जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज सह हॉस्पिटल कैंपस में गुरुवार को बाल विवाह के खिलाफ एक साथ शपथ ली गयी. यह पहल समाज से इस बुरी प्रथा को खत्म करने व जागरूकता बढ़ाने के लिए की गई थी. इससे पहले, मेडिकल कॉलेज में बाल विवाह मुक्त भारत सेलिब्रेशन किया गया था. उन्होंने कहा कि बाल विवाह एक ऐसी कुप्रथा है, जो बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और उनके भविष्य को गंभीर रूप से प्रभावित करती है. मेडिकल कालेज के प्रभारी अधीक्षक सह उपाधीक्षक डॉ प्रिय रंजन भास्कर ने बाल विवाह मुक्त भारत पर चिकित्सकों व कर्मियों को शपथ दिलायी. मुख्य रूप से उपाधीक्षक डॉ अंजनी कुमार, डॉ संतोष कुमार, डॉ रूहुल्ला, डॉ दीपक कुमार, डॉक्टर सतपाल, डॉ दीपा कुमारी, डॉ अमन उत्कर्ष मेट्रोन रेणु कुमारी के साथ अर्चना कुमारी, साक्षी कुमारी, बड़ा बाबू नीलकमल, जयंत कुमार, शुभम कुमार, अमरिंदर कुमार सोहन कुमार, मोहम्मद दानिश के साथ-साथ अन्य कर्मचारी व मरीज के परिजन को बाल विवाह के विरुद्ध शपथ लिया. मौके पर डॉ प्रियरंजन भास्कर के नेतृत्व में लोगों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूक किया. इस दौरान उन्हें आवश्यक बिंदुओं पर शपथ भी दिलाई गयी. बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से समाज को जागरूक करना जरूरी- प्रभारी अधीक्षक डॉ प्रिय रंजन भास्कर ने बताया कि यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री के ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान का हिस्सा है. इस अभियान के तहत देशभर में जन-जागरूकता बढ़ाने और कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से समाज को जागरूक करने के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं. प्रतिज्ञा दिवस के रूप में मनाया गया बाल विवाह मुक्त भारत कार्यक्रम मेडिकल कालेज में बाल विवाह मुक्त भारत कार्यक्रम को प्रतिज्ञा दिवस के रूप में मनाया गया. प्रभारी अधीक्षक डॉ प्रिय रंजन भास्कर कहा इस विशेष दिवस का उद्देश्य बाल विवाह के दुष्परिणामों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समाज से इस कुप्रथा को समाप्त करने के लिए सामूहिक संकल्प को सशक्त बनाना है. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्रारंभ किये गये ‘बाल विवाह मुक्त भारत’ कार्यक्रम के तहत देशभर में जन-जागरूकता बढ़ाने तथा कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. बाल विवाह एक ऐसी कुप्रथा है जो बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा और भविष्य को गहरे स्तर पर प्रभावित करती है. शिक्षा के अधिकार में बाधा डालता है बाल विवाह डॉ भास्कर ने कहा समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से विभिन्न जन-जागरूकता गतिविधियां आयोजित की जाएं, ताकि बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके. वहीं उपाधिक्षक डा अंजनी कुमार बताया किस प्रकार बाल विवाह शिक्षा के अधिकार में बाधा डालता है. किशोरावस्था में गर्भधारण, कुपोषण, घरेलू हिंसा, मानसिक तनाव तथा जीवन की गुणवत्ता में कमी जैसे गंभीर जोखिम पैदा करता है.
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