15 दिसंबर से शुरू होगा वर्कशॉप मधेपुरा . भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय (बीएनएमयू) में 15 दिसंबर से “डीएनए टू डाटा” विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन होगा. बॉयोकार्ट के सहयोग से आयोजित इस हाइब्रिड मोड प्रशिक्षण में देशभर के शोधार्थी शामिल होंगे. मंगलवार को विश्वविद्यालय में कुलपति डॉ वीएस झा, कुलसचिव डॉ अशोक कुमार ठाकुर, एचओडी प्रो नरेंद्र श्रीवास्तव, डॉ नरेश कुमार, डॉ सुनील कुमार, डीन डॉ अशोक कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक शंकर कुमार मिश्र ने वर्कशॉप का पोस्टर जारी किया. ज्ञात हो कि कार्यक्रम के पैनल में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो डॉ बीएस झा, एचओडी प्रो डॉ नरेंद्र श्रीवास्तव और बॉयोकार्ट की एमडी अंकिता कुमारी शामिल होगी. मौके पर विशेषज्ञों द्वारा छात्रों को जैव प्रौद्योगिकी और जीनोमिक्स भविष्य का विज्ञान है और आने वाले वर्षों में इसकी उपयोगिता कई गुना बढ़ने वाली है, इससे जुड़ी जानकारी साझा की जायेगी. डीएनए आइसोलेशन का भी मिलेगा प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रतिभागियों को डीएनए आइसोलेशन से लेकर पीसीआर प्रोटोकॉल, जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस, सैंजर सीक्वेंसिंग और बायोइन्फॉर्मेटिक्स टूल्स तक की जानकारी दी जायेगी. तीन दिनों तक चलने वाले इस प्रशिक्षण में ‘हैंड्स-ऑन वर्क’ पर विशेष जोर रहेगा ताकि विद्यार्थी आधुनिक शोध तकनीकों को लैब में सीख सकेंगे. क्वालिटी एनालिसिस पर विशेषज्ञ करेंगे चर्चा पहले दिन डीएनए एक्सट्रैक्शन, पीसीआर सेटअप और जेल रनिंग जैसी प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण दिया जायेगा. दूसरे दिन सैंजर डाटा की समझ, सीक्वेंस ट्रिमिंग और क्वालिटी एनालिसिस पर विशेषज्ञों ने चर्चा होगी. वहीं तीसरे दिन बायोइन्फॉर्मेटिक्स के उन्नत टूल्स, कॉन्टिग असेंबली और एनसीबीआइ जीन बैंक की सीख दी जायेगी. अंतिम सत्र में प्रतिभागियों के डाटा इंटरप्रिटेशन की समीक्षा की जायेगी. पहली बार इस तरह का होगा वर्कशॉप बीएनएमयू के कुलपति प्रो बीएस झा ने बताया कि दूसरे संस्थान से एमओयू के जरिए ज्ञान का आदान प्रदान करने की यह कोशिश है. बॉयोकार्ट से बीएनएमयू ने मिलकर छात्रों को यह डीएनए से डाटा तक विषय पर प्रशिक्षण दिया जायेगा. बच्चें प्रयोगशाला में प्रेक्टिकल कर सीखेंगे. इसका लाभ इस विषय के छात्रों को प्लेसमेंट में मिलेगी. यह बीएनएमयू के इतिहास में पहली बार एकेडमिक और कॉरपोरेट के सहयोग से इस प्रकार का वर्कशॉप आयोजित किया जा रहा है. शोध कार्यों को मिलेगी नई दिशा एचओडी डॉ नरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उद्देश्य है कि बीएनएमयू के विद्यार्थी बड़े विश्वविद्यालयों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं के समान प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें. कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जायेगा. उन्होंने बताया कि आधुनिक बायोटेक्नोलॉजी की जटिल प्रक्रियाओं को सरल तरीके से समझने का मौका मिलेगा. आयोजकों ने उम्मीद जतायी कि इस प्रकार के तकनीकी प्रशिक्षण से क्षेत्र में शोध कार्यों को नई दिशा मिलेगी.
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