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मिशन-2019 : इस बार मधेपुरा का चुनाव होगा और दिलचस्प, पहले थे साथ, पर अब शरद यादव को ही देंगे चुनौती

मधेपुरा की लोकसभा सीट मंडलवादी राजनीति की रही है प्रयोग भूमि, इस बार का चुनाव होगा और दिलचस्प पटना : मधेपुरा मंडलवादी राजनीति की प्रयोग भूमि रही है. 1967 में जब से मधेपुरा लोकसभा चुनाव क्षेत्र का गठन हुआ तब से अब तक यादव उम्मीदवार की ही जीत होती आयी है. लेकिन, इस बार मुकाबला […]

मधेपुरा की लोकसभा सीट मंडलवादी राजनीति की रही है प्रयोग भूमि, इस बार का चुनाव होगा और दिलचस्प

पटना : मधेपुरा मंडलवादी राजनीति की प्रयोग भूमि रही है. 1967 में जब से मधेपुरा लोकसभा चुनाव क्षेत्र का गठन हुआ तब से अब तक यादव उम्मीदवार की ही जीत होती आयी है. लेकिन, इस बार मुकाबला और दिलचस्प होने वाला है.

महागठबंधन में यह सीट यदि शरद यादव की पार्टी को गयी और वह स्वयं यहां से उम्मीदवार हुए तो उनके खिलाफ कभी उनके साथ रहे नेता ही चुनाव मैदान में होंगे. इनमें मधेपुरा के मौजूदा सांसद पप्पू यादव, पूर्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव और वर्तमान मंत्री दिनेश चंद्र यादव के नाम प्रमुख तौर पर लिये जा रहे हैं. मधेपुरा के साथ इस बार एक और खास बात यह जुड़ गयी है कि यहां पिछले चुनाव में जो भी प्रमुख उम्मीदवार थे, अधिकतर ने अपनी पार्टी छोड़ दी है. मौजूदा सांसद पप्पू यादव 2014 में राजद की टिकट पर विजयी हुए थे.

अब उन्होंने राजद छोड़ अपनी नयी पार्टी बना ली है. इसी प्रकार दूसरे स्थान पर रहे जदयू उम्मीदवार शरद यादव की अब अपनी पार्टी है. भाजपा ने यहां से पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा के पति विजय कुमार सिंह को उम्मीदवार बनाया था. इस बार चर्चा है कि मधेपुरा सीट एनडीए में जदयू को दी गयी है. लालू प्रसाद और शरद यादव के बीच मुकाबले ने इस सीट को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित बना दिया था.

मधेपुरा से शरद यादव का 1991 से नाता रहा है. चार बार यहां से लोकसभा का चुनाव जीतने वाले शरद यादव ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को दो-दो बार मधेपुरा में मात दे चुके हैं और खुद भी तीन बार यहां परास्त हो चुके हैं. उनके करीबी कहते हैं कि मधेपुरा की राजनीति से इतनी जल्दी शरद यादव अलग नहीं हो सकते. खुद शरद यादव ने यहीं से लोकसभा का चुनाव लड़ने का संकेत दिया है.

दूसरी ओर मौजूदा सांसद पप्पू यादव मौजूदा दो गठबंधन में किसका दामन पकडेंगे या फिर संभावित तीसरे गठजोड़ का हिस्सा बनेंगे, इसका खुलासा होना अभी बाकी है. मधेपुरा में 2014 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव को सबसे अधिक 3,687937 वोट मिले. दूसरे स्थान पर रहे शरद यादव को 3,12728 और तीसरे स्थान पर रहे भाजपा के विजय कुमार सिंह को 2,52534 वोट आये थे.

शरद यादव व दिनेश चंद्र यादव के आमने-सामने होने की संभावना

महागठबंधन से लोजद के शरद यादव तो एनडीए से जदयू के दिनेश चंद्र यादव के आमने-सामने होने की संभावना जतायी जा रही है. यहां मौजूदा सांसद पप्पू यादव के इस बार भी मधेपुरा से ही चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.

मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में सहरसा व मधेपुरा जिले का लगभग बराबर हिस्सा शामिल है, लेकिन संपूर्ण क्षेत्र में किसनौट यादवों की अधिक संख्या है. इससे दिनेश चंद्र यादव को फायदा हो सकता है. यदि यहां से प्रत्याशी शरद यादव होते हैं, तो उनको हराना जदयू की सबसे बड़ी चुनौती होगी. इसी तरह राजद भी जदयू के कैंडिडेट को हराकर मधेपुरा लोकसभा सीट पर लालटेन का कब्जा बरकरार रखने के लिए हरेक दांव लगा सकता है. 1991 में मधेपुरा में शरद यादव ने जनता दल के टिकट पर आनंद मोहन, 1996 में जनता दल से प्रत्याशी बने शरद यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़े आनंद मोहन को दोबारा पटखनी दी. जनता दल में टूट के बाद 1998 में राजद से स्वयं लालू प्रसाद ने चुनाव लड़ा और जदयू के शरद यादव को हरा दिया. अगले ही साल 1999 में हुए चुनाव में स्थिति पलट गयी और जदयू के शरद यादव जीत गये.

लेकिन, 2004 में हुए अगले चुनाव में लालू ने जदयू के शरद को चुनाव में हरा दिया. 2009 में जदयू से चुनाव में उतरे शरद यादव ने राजद के प्रो रवींद्र चरण यादव को हरा लोकसभा में प्रवेश पाया, लेकिन 2014 के चुनाव में बाजी फिर पलट गयी. राजद के राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने जदयू के शरद यादव को चुनाव में हरा दिया.

इनपुट : कन्हैया, सहरसा

Prabhat Khabar Digital Desk
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