मधेपुरा : आमतौर पर लोगों का झुंड यदि एक साथ बैठकर गप्पे हांकता मिलता है, तो लोगों के मुंह से बरबस निकल आता है- क्यों भाई किस बात की पंचायत हो रही है. इस नजरिये से शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं की पंचायत लगती है. इनके लिए कोई जगह तय नहीं है. जब, जहां इनकी मर्जी होती है पंचायत लगा देते हैं.
शहरवासियों के लिए यह सबसे बड़ी समस्या है. मुख्य सड़कों से लेकर गलियों तक में इन आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. ये सड़क पर ब्रेकर की तरह पड़े रहते हैं. इन आवारा पशुओं से निबटने के लिए नगर परिषद कतई संजीदा नजर नहीं आ रहा.
बढ़ती ही जा रही संख्या
नगर परिषद के अंतर्गत आने वाले 28 वार्डों में विभिन्न चौक-चौराहों पर दर्जनों की संख्या में आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. इससे आने-जाने वालों की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इन आवारा पशुओं से निबटने के लिए नगर परिषद के पास कोई कार्ययोजना फिलहाल नहीं है और न ही ऐसे पशुओं को पकड़कर रखने की कोई व्यवस्था है. आवारा जानवरों की संख्या सड़कों पर दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. सड़कों के विभिन्न चौक-चौराहे पर दुर्गंध देते कचरों की ढेर पर गायें, बकरियों, सूअरों तथा कुत्तों की पंचायत सी लगी नजर आना आम बात हो गयी है. रोड जाम की प्रमुख वजह कुछ जानवर आराम फरमाने के लिए सड़कों के बीचों बीच पसरे रहते हैं. इससे जाम की समस्या तो होती ही है, आये दिन आने-जाने वाले वाहनों व लोगों के लिए मुसीबत का सबब भी बन जाता है. इस कारण कई बार वाहन चालक दुर्घटना का शिकार भी हो जाते हैं.
सभी रास्तों का एक जैसा है हाल
शहर के जिस रास्ते से भी होकर गुजरा जाय, ऐसे दर्जनों आवारा जानवर मटरगश्ती करते मिल जाते हैं. ऐसे आवारा जानवरों के बीच से होकर लोग चलने को मजबूर हैं. लोगों को हमेशा यह डर सताती रहती है कि पता नहीं नहीं कब कौन गाय की झुंड में से सींग मार दे. बस ये होता है कि पंचायत करते हुए जानवरों एवं नगर परिषद की व्यवस्था को कोसते हुए अपने गंतव्य की ओर लोग निकल पड़ते हैं.