लखीसराय. नगर पालिका संशोधन विधेयक 2024 के विरोध में वार्ड पार्षद भी एकजुट हो रहे हैं. वार्ड पार्षद गौतम कुमार ने इस संबंध में कहा कि यह विधेयक वार्ड पार्षद के अधिकार के भी खिलाफ है. वार्ड पार्षद के अधिकार को बढ़ाने की जगह कम करने का इस विधेयक में प्रयास किया गया है. इसके लिए लखीसराय के वार्ड पार्षद तो एकजुट होकर वापस लेने की मांग कर ही रहे हैं. वहीं वापसी ना होने पर प्रदेश स्तर तक एकजुटता बनाकर सड़क पर उतरने का कार्य किया जायेगा. इसके पूर्व भी मुख्य पार्षद द्वारा मंत्री को पत्र भेज बिहार नगरपालिका संशोधन विधेयक, 2024 वापस लेने की मांग की गयी है. इधर, नगर परिषद लखीसराय के मुख्य सभापति अरविंद पासवान ने कहा कि बिहार नगरपालिका संशोधन विधेयक, 2024 को लेकर मंत्री द्वारा नौ अगस्त को बुलायी गयी बैठक में मामला नहीं सुलझने पर संघ द्वारा मामले को कोर्ट में ले जाया जायेगा. यह विधेयक नगर निकाय के प्रतिनिधियों के अधिकार को छीनने जैसा है. जनप्रतिनिधियों का अधिकार छीनकर एक पदाधिकारी में निहित करने का प्रयास किया गया है. इन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसे तो मंत्री को भी अपना अधिकार सचिव को दे देना चाहिए. मंत्री स्वयं अपने पावर में रहेंगे जबकि नगर निकाय के जनप्रतिनिधियों का सीज करेंगे. इसका हर स्तर से विरोध किया जायेगा. 15 अगस्त तक वापसी का आश्वासन मिला है अन्यथा पूर्व में ऐसे ही एक अन्य मामले की तरह कोर्ट में जाकर मामला उठाया जायेगा. मुख्य पार्षद ने आगे कहा कि 2007 में बनी विधेयक में मिले अधिकार को भी छीनने का प्रयास किया जा रहा है. बिहार में नगर निकाय के प्रतिनिधियों की हालत उड़ीसा एवं झारखंड से भी बदतर है. उड़ीसा में जहां वार्ड पार्षदों को भी वेतन मान सम्मान के साथ-साथ राशन कार्ड निर्माण का अधिकार प्राप्त है. बिहार से ही अलग हुए झारखंड में भी ज्यादा अधिकार दिया गया है.
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