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समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे के लिए वरदान है एसएनसीयू

जब मां एक स्वस्थ नवजात को जन्म देती है तो जन्म देने वाली मां के साथ पूरा परिवार खुशियां मनाते हैं. पर, जब कोई नवजात समय से पूर्व जन्म लेता है तो उस मां के साथ पूरा परिवार इस सोच में पड़ जाता है कि कैसे अपने नौनिहाल को स्वस्थ जीवन प्रदान करें .ताकि नवजात उनके अरमान को पूरा करने वाला सहारा बन सके .

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एसएनसीयू में औसत हर रोज 11 बच्चों का निशुल्क होता है इलाज जिले के सदर अस्पताल में अभी, एसएनसीयू वार्ड में 8 बच्चे हैं भर्ती वार्ड में निशुल्क इलाज होता है समयपूर्व जन्म लेने वाले नवजात का लखीसराय. जब मां एक स्वस्थ नवजात को जन्म देती है तो जन्म देने वाली मां के साथ पूरा परिवार खुशियां मनाते हैं. पर, जब कोई नवजात समय से पूर्व जन्म लेता है तो उस मां के साथ पूरा परिवार इस सोच में पड़ जाता है कि कैसे अपने नौनिहाल को स्वस्थ जीवन प्रदान करें .ताकि नवजात उनके अरमान को पूरा करने वाला सहारा बन सके . ऐसे ही बच्चे को नया जीवन देने के लिए राज्य के हर जिला अस्पताल एवं उप-जिला अस्पताल में की एसएनसीयू वार्ड की स्थापना की गयी है. इस बात की जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ बीपी सिन्हा बताते हैं कि इस वार्ड में नवजात का निशुल्क इलाज किया जाता है. इस इकाई में प्रमुख सर्जरी एवं वेंटिलेशन को छोड़कर समय से पूर्व जन्म लेने वाले नवजात के लिए सभी तरह के इलाज किये जाते हैं. डॉ सिन्हा ने बताया कि अभी एसएनसीयू में कुल आठ बच्चे भर्ती हैं. जहां प्रशिक्षित डॉक्टरों, स्टाफ नर्सों द्वारा नवजात का 24 घंटे देखभाल किया जा रहा है. इस इकाई की स्थापना का एक मात्र उद्देश्य ही है कि शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके. इसलिए वे जिले के सभी धात्री एवं समय पूर्व जन्म लेने वाली माताओं से कहेंगे कि अगर उनका बच्चा समय पूर्व जन्म लेता है तो वो अपने जिला स्थित एसएनसीयू (सिक न्यू बार्न केयर यूनिट) में जरूर भर्ती करवायें ताकि उनके बच्चे का हर संभव इलाज कर नयी जीवन देने की हर कोशिश की जाय. वहीं जिला स्वास्थ्य कार्यक्रम प्रबंधक सुधांशु नारायण लाल ने बताया कि समय से पूर्व जन्म लेने वाले बच्चे के लिए एसएनसीयू वाकई वरदान है. क्योंकि जो सुविधा यहां निशुल्क मिल रहा है. उसके लिए निजी अस्पताल जो छोटे शहरों में हैं उसमें एक दिन में लगभग सात हजार रुपये खर्च करना पड़ता है. वहीं अगर हम बड़े शहरों में एक दिन का खर्च 50 हजार से 60 हजार खर्च करना पड़ जाता है. उन्होंने बताया कि साथ ही एसएनसीयू में जन्म से लेकर 28 दिनों तक के ऐसे नवजात को भर्ती किया जाता है, जो बर्थ-एस्फिक्सिया, प्री-मैच्योरिटी (समय से पूर्व जन्म लेने वाले नवजात), न्यू नेटल जांडिस एवं सेपसिस परेशानी से पीड़ित रहते हैं. ऐसे बच्चों को दवा से लेकर समुचित इलाज की पूरी तरह मुफ्त सुविधा यहां उपलब्ध करायी जाती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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