जिले में सैकड़ों एकड़ धान की फसल चक्रवात तूफान के कारण खेत में गिराबारिस के कारण लोगों को झेलनी पड़ रही है परेशानी, गुरुवार की शाम से ही शुक्रवार तक हुआ बारिस
लखीसराय. जिले में लगातार चार से पांच दिनों से हो रही बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. निरंतर वर्षा व चक्रवाती तूफान के कारण खेतों में खड़ी धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हो गयी है. कई एकड़ में धान का पौधा गिर चुका है. जिन खेतों में पहले से पानी जमा था, वहां धान के पौधे गिरने के बाद अब दाने के खराब होने की आशंका बढ़ गयी है. किसानों का कहना है कि यदि कुछ दिनों तक इसी तरह पानी भरा रहा, तो धान के दाने काले पड़ जाएंगे व न तो खाने लायक रहेंगे, न ही उनसे चूड़ा या आटा बन सकेगा.गुरुवार की शाम से शुक्रवार की देर रात तक लगातार बारिश होने के कारण खेतों में पानी भर गया है. केवल धान ही नहीं, बल्कि धनिया, लहसुन, गोभी, मिर्च व टमाटर की फसलें भी जलजमाव की चपेट में आ गयी हैं. सब्जी के खेतों में पौधे गलने का खतरा बना हुआ है. हालांकि किसान अपने स्तर पर खेतों से पानी निकालने की कोशिश कर रहे हैं.
सदर प्रखंड के किसान सहदेव यादव ने बताया कि उन्होंने एक बीघा में धनिया की खेती की है. छोटे-छोटे पौधे उग आए थे और दस दिनों बाद हरा धनिया तोड़ने की उम्मीद थी, लेकिन बेमौसम की बारिश ने खेत में पानी भर दिया. मेड़ तक पानी लग जाने से काफी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे पानी तो निकाला जा रहा है, लेकिन धूप नहीं निकलने से खेत सूख नहीं रहे हैं. ऐसे में धनिया की फसल को बचाना मुश्किल हो गया है.किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लोगों को भींगकर अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा है. बारिश के कारण बाजारों में खरीदारों की संख्या घट गई है. दुकानदारों ने बताया कि ग्राहक घरों से नहीं निकल रहे, जिससे बिक्री पर असर पड़ रहा है और व्यापारियों को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
लगातार हो रही बारिश और मौसम की अनिश्चितता ने जिले भर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर डालना शुरू कर दिया है. किसान अब खेतों के सूखने और मौसम के सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं.किऊल
नदी पर बना पुलिया सह कच्चा रास्ता पर फिर आया पानी, आवागमन हुआ बाधित
किऊल नदी पर समाजसेवियों द्वारा बनाया गया कच्चा रास्ता सह पुलिया फिर से नदी के पानी में समा चुका है. लगातार बारिश होने के कारण नदी में एक बार फिर से पानी आ चुका है. जिससे कि नदी का अस्थायी रास्ता फिर से पानी में डूब चुका है. कार्तिक महीना के अंतिम सप्ताह बारिश होने के कारण लोगों की तकलीफ बढ़ चुकी है. लोगों के सामने कई समस्या खड़ी हो गयी है. गांव एवं देहात में कच्चा रास्ता कीचड़मय हो चुका है. जिससे कि बाइक या पैदल भी निकलना मुश्किल हो गया है. लोगों को यह अनुमान भी नहीं था कि छठ के बाद कीचड़ उत्पन्न करने वाली बारिश भी होगी, लेकिन बंगाल की खाड़ी में कम दबाव बनने के कारण उठे चक्रवाती तूफान मोथा की वजह से बारिस एवं आंधी ने किसानों एवं ग्रामीणों के लिए समस्या खड़ी कर दी है. फिलहाल मौसम विभाग की मानें तो रविवार को धूप उगने की संभावना बनी हुई है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

