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मकर संक्रांति पर गुलजार हुआ पंच पहाड़ी

मकर संक्रांति पर गुलजार हुआ पंच पहाड़ी प्रत्येक वर्ष यहां लगता है मेलापहाड़ों की खूबसूरती करती है लोगो को आकर्षितफोटो 9(पंचपहाड़ी में जुटी लोगो की भीड़)सोनो. मकर संक्रांति पर शुक्रवार को पंचपहाड़ी में लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी़ प्रकृति का आनंद लेने के लिए आये लोगो से यह खूबसूरत पहाड़ दिनभर गुलजार रहा़ बच्चे, युवा […]

मकर संक्रांति पर गुलजार हुआ पंच पहाड़ी प्रत्येक वर्ष यहां लगता है मेलापहाड़ों की खूबसूरती करती है लोगो को आकर्षितफोटो 9(पंचपहाड़ी में जुटी लोगो की भीड़)सोनो. मकर संक्रांति पर शुक्रवार को पंचपहाड़ी में लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी़ प्रकृति का आनंद लेने के लिए आये लोगो से यह खूबसूरत पहाड़ दिनभर गुलजार रहा़ बच्चे, युवा व महिलाऐं सबो ने जमकर लुत्फ उठाया़ कई परिवार सदस्य अपने घर से चूड़ा तिलकुट व लाय लाकर पहाड़ पर पिकनिक का आनंद उठाया़ पंचपहाड़ी के प्रसिद्घ बेंगा पहाड़ व नाव पहाड़ लोगो के आकर्षण का केंद्र था ़ इसके अलावे पहाड़ के ऊ पर बना कुंआ व सैकड़ो वर्ष पूर्व इस पहाड़ पर तपस्या करने वाले तपस्वी की गुफा भी लोगो के कौतुहल का केंद्र रहा़ कुंज गली की कठिन व घुमावदार संकीर्ण रास्ते का रोमांचक सफर का भी लोगो ने आनंद उठाया़ पहाड़ पर बने शंकर व पार्वती,मां दुर्गा व हनुमान के मंदिर में लोग दर्शन करने पहुंचे़ पहाड़ पर जंगलो के बीच कई लोग औषधीय पौधे भी खोजते नजर आये़ युवा वर्ग तो अपने मोबाइल में यहां की खूबसूरती समेटने में ही व्यस्त दीखे़ भीड़ को देखते हुए पहाड़ की तलहटी में खाने पीने के कई अस्थायी दुकान भी देखा गया़ मूंगफली और झालमुढ़ी की सर्वाधिक बिक्री देखी गयी़ बताते चलें कि प्रखंड मुख्यालय से ढाई किलोमीटर दूर सोनो-झाझा मुख्य पथ के समीप स्थित पंचपहाड़ी लोगो को आकर्षित करती है़ मकरसंक्रांति पर यहां सोनो के अलावे झाझा व आसपास के ग्रामीणों की बड़ी भीड़ लगती है़ इस अवसर पर यहां लगने वाले मेला का वषार्े पुराना इतिहास है़आगंतुकों को मिला खिचड़ी का प्रसादसोनो-पंचपहड़ी में मकर संक्रांति पर आये आगंतुकों को खिचड़ी खिलाने की प्रथा कई वषार्े से निभायी जा रही है़ शुक्रवार को इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए तपस्विनी माता जी के भक्तो द्वारा प्रसाद के रूप में कई क्विंटल खिचड़ी बनवाया गया. तथा वहां आने वालों को खिलाया गया़ जानकारी के अनुसार कई वर्ष पूर्व पहाड़ के तलहटी में रहकर आध्यात्मिक गतिविधि करने वाले एक तपस्वी द्वारा शुरू किये गए इस परंपरा को आज भी आराधना में लीन रहने वाली माता जी की देख रेख में निभायी जा रही है़ आसपास के लोग बताते हैं कि चंदा आदि कर ही सामग्रियों को लाया जाता है. ग्रामीण ही अपने सहयोग से इस कार्य को संपादित करते है़

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