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महिला विकास निगम किशनगंज के अंतर्गत 10 दिवसीय विशेष जागरूकता अभियान के तहत विशेष जागरूकता व क्षमता निर्माण सत्र का हुआ समापन

जिला मिशन समन्वय मोहम्मद शाहबाज़ आलम ने महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा एवं सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी .

किशनगंज. किशनगंज जिला के दिघलबैक प्रखंड के सभागार मे शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला मिशन समन्वय मोहम्मद शाहबाज़ आलम ने महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा एवं सशक्तिकरण से संबंधित योजनाओं पर विस्तृत जानकारी दी . समाज में फैले कुरीतियों जैसे बाल विवाह, घरेलू हिंसा, बाल हिंसा, दहेज प्रथा आदि के खिलाफ जागरूक करने पर बल दिया गया. जिला हब फॉर एंपावरमेंट ऑफ वीमेन द्वारा संचालित योजनाओ का लाभ लेने हेतु सभी उपस्थित प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया गया. बिहार सरकार एवं केंद्र सरकार द्वारा महिलाओं पर केंद्रित योजनाओं पर विस्तृत पूर्वक जानकारी दी. उन्होंने बताया कि 02 सितंबर से 12 सितंबर तक विशेष जागरूकता कार्यक्रम का आयोजना किया गया था, जिसमें मिशन शक्ति अंतर्गत संचालित योजनाएं सखी वन स्टॉप सेंटर, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, महिला हेल्पलाइन नंबर 181, जिला हब कार्यालय के बारे में जानकारी दिया गया . उन्होंने आगे बताया कि गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994,के बारे में बताया कि इस अधिनियम का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकना और देश में घटते लिंगानुपात को सुधारना है. यह अधिनियम जन्म से पहले किसी भी प्रकार के अल्ट्रासाउंड या अन्य तकनीकों द्वारा भ्रूण के लिंग का पता लगाने और उसे बताने पर प्रतिबंध लगाता है. इस कानून के उल्लंघन पर दंड का प्रावधान है, जिसमें कारावास और जुर्माना दोनों शामिल हो सकते हैं. जागरूकता कार्यक्रम के दौरान वन स्टॉप सेंटर की केंद्र प्रशासक, रोशनी द्वारा महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर जानकारी देते हुए पर विस्तृत जानकारी दी गयी एवं अपील करते हुए कहा गया कि उपरोक्त लाभ लेने के लिए अपने गांव की आशा, सेविका, जीविका दीदी कैडर से मिलकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. उन्होंने आगे बताया कि पॉश अधिनियम, घरेलू हिंसा, लैंगिक हिंसा से सम्बंधित किसी भी प्रकार का घरेलू हिंसा होने पर 181 नंबर पर डायल कर जानकारी दे सकते है. जेंडर विशेषज्ञ सुशील कुमार झा द्वारा लड़कियों की शिक्षा एवं लैंगिक समानता पर अपने अनुभव साझा किये उन्होंने आगे बताया कि अगर लड़कियों को अगर शिक्षा और बराबरी का मौका मिले तो वह अपने साथ साथ अपने परिवार को भी विकसित, साक्षर एवं सामाज को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. श्री झा अपने विचार नारी सशक्तीकरण पर रखते हुए साझा किया कि किसी भी समाज की असली प्रगति तभी सम्भव है जब उसकी महिलाएं शिक्षित, आत्मनिर्भर और सम्मानित हों. नारी सशक्तीकरण केवल एक नीति या योजना का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी सोच है जो समाज को नई दिशा देती है. उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता केवल महिलाओं और पुरुषों के बीच समान अवसर की बात नहीं करती, बल्कि यह हर व्यक्ति के लिए समान सम्मान, समान अधिकार और समान भागीदारी सुनिश्चित करने की भावना है. इसके साथ ही मानव तस्करी जैसी अमानवीय प्रवृत्ति पर भी प्रकाश डाला. यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि समाज की आत्मा पर एक गहरा आघात है. इसे रोकने के लिए हम सबको जागरूकता, सशक्त कानून और सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है. बाल संरक्षण पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि बच्चे हमारे आने वाले कल की नींव हैं.

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