ठाकुरगंज . 1600 करोड़ रूपए की लागत से बना एनएच 327ई उद्घाटन के छह माह में जर्जर हो गया. निर्माण के दौरान सड़क की गुणवत्ता को लेकर उठे विरोध के स्वर की उपेक्षा का खामियाजा इस सड़क से होकर गुजरने वाले वाहन चालक और इस पर आश्रित जिलेवासियों को भुगतना पड़ रहा है. सड़क के कालीकरण कई जगहों पर पूरी तरह से उखड़ चुका है. इन दिनों हो रही लगातार बारिश की वजह से सड़क पूर्व की तरह दिखने लगी है. बताते चले 13 नवंबर 2024 को एनएच-327ई के चार लेन वाले गलगलिया-अररिया खंड का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा से किया था. 1600 करोड़ की लागत से हुआ सड़क का निर्माणबताते चले अररिया-गलगलिया फोरलेन एनएच का निर्माण दो पैकेज को मिलाकर करीब 94 किमी लंबाई में हुआ है. इसके निर्माण की जिम्मेदारी मेसर्स जीआर इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड को 10 जनवरी 2022 को दी गई थी. अररिया-गलगलिया के पहले पैकेज में गलगलिया से बहादुरगंज तक करीब 800.23 करोड़ की लागत से करीब 49 किमी लंबाई में फोरलेन सड़क का निर्माण पूर्ण हुआ था. वहीं दूसरे पैकेज में बहादुरगंज से अररिया तक करीब 799.14 करोड़ की लागत से करीब 45 किमी लंबाई में फोरलेन सड़क बनी. इस राशि से सड़क का चौड़ीकरण के साथ नवीनीकरण का कार्य किया गया था. निर्माण के दौरान ही इसमें उपयोग किया जा रहे निर्माण सामग्री की गुणवत्ता को लेकर जमकर विवाद हुआ था. लोगों ने इसकी शिकायत भी अधिकारियों से की थी, लेकिन निर्माण कंपनी के संचालकों ने विरोध के इस स्वर को दबा दिया था. नतीजा करोड़ों रूपए की लागत से निर्मित यह हाईवे उद्घाटन के छह माह के अन्दर ही मरम्मत खोजने लगा है. गलगलिया से पौआखाली के बीच जगह-जगह सड़क जर्जर हो चुकी है. मरम्मत का कार्य होता दीखता है. वहीं इस सड़क के विभिन्न ओवर ब्रिज के सर्विस रोड में धसान की समस्या उत्पन्न होने लगी है, जो सड़क निर्माण में गुणवत्ता की कहानी कह रही है.
चिकन नेक की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है एनएच
देश की राजधानी को पूर्वोतर भारत से जोड़ने वाले एनएच 27 के विकल्प को लेकर एनएच-327ई का चौड़ीकरण कार्य भारतमाला परियोजना के तहत शुरू किया गया था. सिलीगुड़ी कोरिडोर में अपनी पहुच को मजबूती प्रदान करने के लिए सीमांचल से गुजरने वाले स्टेट हाईवे 63 को पहले एनएच-327ई में परिवर्तित कर उसे चारलेन की सड़क बनाने का निर्णय केंद्र की मोदी सरकार ने लिया था, जिससे आपदा के वक्त यदि किशनगंज जिला मुख्यालय से गुजरने वाला एनएच 27 बाधित होता है तो पूर्वोतर का सड़क सम्पर्क एनएच 327ई के जरीय बरकरार रहे. बताते चले किशनगंज सहित उत्तर पूर्व के कई हिस्से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे हैं. ऐसे में इस मार्ग का बेहद सामरिक महत्व है.काफी व्यस्त है यह सड़क
बताते चले एनएच-327 ई जिले के सर्वाधिक महत्वपूर्ण और व्यस्त सड़कों में शुमार है. पूर्वोतर से दिल्ली या पश्चिम भारत या उतर भारत जाने वाले वाहन का परिवहन इसी सड़क के माध्यम से होता है. बताते चले बागडोगरा से अररिया भाया ठाकुरगंज की दूरी 129 किमी तो बागडोगरा से अररिया भाया पूर्णिया की दुरी 208 किमी है. यही 79 किमी की कम दूरी इन दिनों वाहन चालकों को एनएच 327ई होकर आवागमन को मजबूर करता है. जानकारों की माने तो एनएच 327ई होकर एक ट्रक यदि पास होती हे तो लगभग 10 हजार रुपये की बचत उसको होती है. इस वजह से भी इस सड़क पर भारी वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है. इस सड़क पर बढ़ते हुए दबाव और पूर्वोतर के महत्व को देखते हुए केंद्र सरकार ने इसके चौड़ीकरण के लिए राशि स्वीकृत किया था.क्या कहते है अधिकारी
इस मामले में एनएचआई के अधिकारी कुमार सोरभ ने बताया कि अभी बरसात के कारण जहां ज्यादा खराब हो गई है उस जगह मरम्मत का काम किया जा रहा है. बरसात खत्म होने के बाद सड़क पर पूरी तरह कालीकरण किया जाएगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है