किशनगंज. खुदा से प्रेम और इबादत के लिए कोई उम्र नहीं होती. रमजान माह में रोजेदार रोजा रखकर खुदा की इबादत करते हैं. इसमें वृद्ध, युवा और बच्चे सभी कोशिश करते हैं कि वह रोजा रखकर एक माह तक इबादत करें. शहर के सौदागरपट्टी वार्ड 14 निवासी मोहम्मद आलम का 8 वर्षीय पुत्र तफीम अन्य रोजेदारों के लिए प्ररेणा का श्रोत बना हुआ है. अबतक उसने सभी रोजा रखा है. वह नमाज अदा करने के साथ कुरआन की तिलावत भी करता है. तफीम के पिता मोहम्मद आलम का कहना है उन्होंने बच्चे को रोजा रखने के लिए प्रेरित नहीं किया. बल्कि वो खुद से रोजा रखना शुरू किया, उसे मना भी नहीं किया गया है. अब कुछ दिनों में ईद भी आने वाली है. ऐसे में परिवार में बेहद खुशी है. इतनी छोटी उम्र में रोजा रखना चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में आठ साल का तफीम रोजा रखकर खुदा की इबादत में लीन है. शायद इसी लिए कहा जाता है कि भक्ति में बड़ी शक्ति होती है. तफीम ने कहा कि वह रमजान के पवित्र माह के पूरे रोजे रखना चाहता है. वह लोगों से आग्रह करता है कि वे उसके लिए दुआ करें कि अल्लाह उसे पूरे रोजे रखने की तौफीक दे. तफीम कहता है कि वह अल्लाह से रोजे रखकर दुनिया से बुराई, ईर्ष्या-द्वेष समाप्त करने की दुआ करेगा.
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