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दवा के सेवन से उल्टी व चक्कर आने पर चिकित्सक से मिले: सीएम

बच्चों को कृमि संक्रमण से मुक्त रखने और उनके शारीरिक व मानसिक विकास को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से 16 जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जाएगा

सिविल सर्जन ने माइकिंग वैन को हरी झंडी दिखाकर जागरूकता अभियान का शुभारंभ

किशनगंज

बच्चों को कृमि संक्रमण से मुक्त रखने और उनके शारीरिक व मानसिक विकास को सुरक्षित बनाने के उद्देश्य से 16 जिले में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का आयोजन किया जाएगा. इस कार्यक्रम के तहत एक से 19 वर्ष तक के सभी बच्चों को कृमिनाशक दवा खिलाई जाएगी. आज सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने माइकिंग वैन को हरी झंडी दिखाकर जनजागरूकता अभियान की शुरुआत की. यह वैन पूरे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में घूमकर राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (16 सितंबर) और मॉप-अप दिवस (19 सितंबर) के बारे में प्रचार-प्रसार करेगी. कार्यक्रम में जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ मुनाजिम, डीपीसी विश्वजीत कुमार, डीडीए सुमन सिन्हा सहित स्वास्थकर्मी उपस्थित रहे.

सिविल सर्जन डॉ. चौधरी ने बताया कि कृमि संक्रमण बच्चों के स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालता है. यह संक्रमण कुपोषण, एनीमिया, पेट दर्द, थकान और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी जैसी समस्याओं को जन्म देता है. बच्चों की स्कूल उपस्थिति और सीखने की क्षमता भी प्रभावित होती है. उन्होंने कहा एलबेंडाजोल पूरी तरह सुरक्षित दवा है, जो बच्चों को कृमि संक्रमण से बचाती है और उन्हें स्वस्थ, ऊर्जावान व अधिक सक्रिय बनाती है. दवा सेवन के दौरान यदि किसी बच्चे में उल्टी, खांसी, चक्कर या एलर्जी जैसी कोई प्रतिकूल घटना होती है तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र और जिला स्तर के अधिकारियों को सूचित किया जाएगा.

अभियान का लक्ष्य और व्यवस्था

-जिले में इस अभियान के तहत 11,22,744 बच्चों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा गया है.

-16 सितंबर को मुख्य दिवस पर दवा दी जाएगी.

-19 सितंबर को मॉप-अप दिवस रखा गया है ताकि पहले दिन छूटे हुए बच्चों को भी दवा दी जा सके.

-सभी सरकारी, गैर-सरकारी और निजी विद्यालयों सहित आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को दवा दी जाएगी.

दवा सेवन की प्रक्रिया: आयु अनुसार व्यवस्था

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि उक्त अभियान में एक से दो वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली साफ पानी में घोलकर चम्मच से दी जाएगी. दो से तीन वर्ष तक के बच्चों को पूरी गोली पानी में मिलाकर चम्मच से दी जाएगी. 3 से 19 वर्ष तक के बच्चों को पूरी गोली सीधे दी जाएगी, जिसे हमेशा पानी के साथ चबाकर खाने की सलाह दी गई है. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ देवेंद्र कुमार ने बताया कि अभियान को सफल बनाने के लिए सभी शिक्षकों, आंगनबाड़ी सेविकाओं और आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया गया है. प्रशिक्षण में दवा वितरण, रिकॉर्ड संधारण, बच्चों की सूची (लाइन लिस्ट) तैयार करना और छूटे हुए बच्चों की पहचान पर विशेष बल दिया गया.10 सितंबर तक सभी आंगनबाड़ी और विद्यालयों में सूची (लाइन लिस्ट) तैयार करने का निर्देश दिया गया है, ताकि कोई बच्चा छूट न जाए.

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