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रात के अंधेरे में चलता है पशु तस्करी का काला कारोबार

सीमावर्ती क्षेत्रों के रास्ते पिछले कई दशकों से हो रहे मवेशियों की तस्करी का धंधा आज भी जारी है.पशु तस्करी के कारण क्षेत्र के किसान जहां बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं,वहीं मवेशियों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं.

कई सफेद पोश है इस कारोबार के संरक्षक

जिले का सबसे बड़ा अवैध कारोबार है पशु तस्करी

अवधेश यादव,किशनगंज

सीमावर्ती क्षेत्रों के रास्ते पिछले कई दशकों से हो रहे मवेशियों की तस्करी का धंधा आज भी जारी है.पशु तस्करी के कारण क्षेत्र के किसान जहां बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं,वहीं मवेशियों की कीमतें आसमान छूने लगी हैं. फलत: गरीब किसान पशु रखने में अक्षम होते जा रहे हैं.मिली जानकारी के अनुसार भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में सक्रिय तस्कर नेपाल के पशु बाजार से पशुओं को खरीद कर सीमावर्ती गांवों में जमा करते हैं, जहां से सीमा पार करा बांगला देश भेज दिया जाता है.भारत-नेपाल सीमा से प्रति माह अरबों रुपये की पशु तस्करी हो रही है. इससे संबंधित लोग दिनो- दिन मालामाल हो रहे है.वहीं पशुपालन में लगे लोग पशुओं की बढ़ती कीमत से परेशान हैं. किसान बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले तक गांव के प्राय: सभी किसानों के पास दुधारू पशुओं का जोड़ा होता था तथा घर के आगे गाय-भैंस बंधी रहती थी लेकिन आज की स्थिति यह है कि मात्र 10 प्रतिशत किसानों के पास ही पशु है. गरीब किसान अब कृषि हेतु गांव के संपन्न किसान जिनके पास ट्रैक्टर है, उनके सामने मुंह बाए खड़े रहते हैं.

दूध उत्पादन में भारी गिरावट

दो दशक पूर्व तक दूध उत्पादन में ग्रामीण इलाकें बेहतर माने जाते थे.शादी,विवाह, जनेऊ,उपनयन सहित अन्य आयोजन के लिए पर्याप्त दूध की उपलब्धता होती थी लेकिन आज कल ग्रामीण इलाका भी डब्बा बन्द दूध के भरोसे है.मवेशियों की तस्करी के कारण पशुओं की कीमतों में वृद्धि होने से भारतीय सीमा क्षेत्र के दोनों तरफ के पशुपालक अपने मवेशियों को व्यापारियों के हाथों बेंच देते हैं, जिसका उन्हें अधिक मूल्य प्राप्त होता है.इसके कारण में दुधारू पशुओं की कमी से नवजात शिशुओं, गर्भवती महिलाओं व मरीजों को दूध नहीं मिल पाता है.परिणाम स्वरूप उन्हें कृत्रिम दूध देना पड़ता है. यहां गौरतलब है कि बिहार पशुधन संरक्षण संवर्द्धन अधिनियम 1956 का उल्लंघन करने वालों को बिना वारंट पकड़ा जा सकता है. इसके बावजूद सीमा क्षेत्र से होने वाली पशुओं की तस्करी का धंधा परवान पर है, जिस पर रोक लगाना कठिन चुनौती हैं

अंधेरी रात में होता है तस्करी का खेल

काली स्याह रातों में तस्करी का यह काला कारोबार पूरे शबाब पर रहता है आज कल यह धंधा काफी जोरों पर है.

तस्करी के पशु से बांग्लादेश चमड़ा उत्पादन का सिरमौर

सीमावर्ती क्षेत्र के पशु तस्करी से देखते ही देखते पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश चमड़ा उत्पादन में सिरमौर बन गया तस्करी के पशु को बांग्लादेश में मिलती है मुहमांगी कीमत.

नेपाल से बांग्लादेश तक फैला है तस्करों का रैकेट

पशु तस्करों का नेटवर्क नेपाल से किशनगंज के रास्ते पश्चिम बंगाल होते हुए बंगलादेश तक फैला हुआ है.इसके अलावा मंडियों से पशुओं को खरीदकर तस्कर बंगाल के रास्ते बंगलादेश तक भेजते हैं.वहीं बहुत से पशुओं को स्लॉटर हाउस में भी ले जाया जाता है.इस काम के पीछे बहुत बड़ा नेटवर्क काम करता है.

क्या कहते हैं एसडीपीओ

एसडीपीओ गौतम ने बताया कि पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर लगातार पशु तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है जो आगे भी जारी रहेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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