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कैशलेस व्यवस्था बेहतर विकल्प

नोटबंदी . िजलावािसयों ने कहा िक नयी व्यवस्था को अमलीजामा पहनाने में लगेगा वक्त नोटबंदी के बाद स्वाइप मशीनों व क्रेडिट-डेबिट कार्ड से भुगतान पर चर्चा तेज हो गई है. सरकार भी स्वाइप मशीनों के बूते समस्या से निपटने में सहायता मिलने की बात कह रही है. दिघलबैंक : नोटबंदी के बाद स्वाइप मशीनों व […]

नोटबंदी . िजलावािसयों ने कहा िक नयी व्यवस्था को अमलीजामा पहनाने में लगेगा वक्त

नोटबंदी के बाद स्वाइप मशीनों व क्रेडिट-डेबिट कार्ड से भुगतान पर चर्चा तेज हो गई है. सरकार भी स्वाइप मशीनों के बूते समस्या से निपटने में सहायता मिलने की बात कह रही है.
दिघलबैंक : नोटबंदी के बाद स्वाइप मशीनों व क्रेडिट-डेबिट कार्ड से भुगतान पर चर्चा तेज हो गई है. सरकार स्वाइप मशीनों के बूते समस्या से निपटने में सहायता मिलने की बात कह रही है.साथ ही देश को अगले कुछ सालों में कैशलेस ट्रांजेक्शन की ओर ले जाने की बात कही जा रही है. बलराम प्रसाद ने कहा कि बदलाव के समय थोड़ी दिक्कत तो होती ही है, केंद्र सरकार ने अर्थ व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है जिसका लाभ आने वाला समय में नजर आएगा. कैश लेश वातावरण बने तो देश के लिए बेहतर होगा,
लेकिन नोटबंदी में स्वाइप मशीन पूरा कारगर नहीं है. भारत में अधिकतर आबादी अभी बैंक संस्कृति को ही नहीं पहचानती़ एटीएम का उपयोग भी हर आदमी नहीं जानता. गांवों में लोग जागरूक नहीं हुए हैं. छोटे दुकानदार अचानक मशीनें लगाकर कारोबार नहीं बढ़ा सकते़ आने वाले कई सालों में भी भारत को पूरी तरह कैशलेस कर पाना मुश्किल होगा़ कैश लेश वातावरण स्थापित करने में समय लगेगा़ अगर यह 80 प्रतिशत भी सफल हो जाए तो भारत जैसे बड़े देश में यह मिल का पत्थर साबित हो सकता है ़ दीपक झा ने कहा कि बड़ा बदलाव होगा तो परेशानियां होगी ही़ अगर कैश लेश माहौल बन जायेगा तो हर भारतीय के लिए यह बहुत बेहतर होगा़ सरकार का उद्देश्य तो सही हैै.भारत ग्रामीण संस्कृति का देश है यहां खेती-बारी करने वाले किसान ज्यादा हैं. उन्हें चेक तक समझ में नहीं आता, एटीएम कार्ड तो बड़ी बात है़ कैशलेस व्यवस्था विकसित देशों में भी समस्या का पूरा समाधान नहीं है. आपदा आने पर विकसित देशों में भी इससे दिक्कत आ जाती है़ भारत में आने वाले कुछ सालों में भी पूरा कैशलेस समाज बन जाये तो बहुत बेहतर रहेगा शहर में कुछ स्वाइप मशीनें जरूर दिख रही हैं लेकिन गांवों में इसकी उपयोगिता फिलहाल नहीं है़
दिलीप कुमार साहने कहा कि किसी भी चीज के शुरुआत में खास कर नये काम में थोड़ी परेशानी तो होगी ही़ स्वाइप मशीन बड़े लोगों के लिए कारगर होगी लेकिन छोटे शहरों, गांवों व कस्बों में इसकी उपयोगित में समय लगेगा क्योंकि अधिकांश के पास बैंक अकाउंट ही नहीं हैं,पहले इसे ठीक करना होगा. वली आज़म ने कहा किकिसी भी निर्णय से पहले उसके क्रियान्वयन की पूरी तैयारी होनी चाहिए तभी यह शत प्रतिशत सफल होगा नोटबंदी में भी नोट को किल्लत ने लोगों को काफी परेशान किया है. कैश लेश वातावरण के लिये पहले बैंको की शाखाओं और बैंक कर्मचारियों और एटीएम की संख्या में बढ़ोतरी जरुरी होगी

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