किशनगंज : नोटबंदी के बाद से लगातार बैंककर्मी काम पर हैं. सुबह अपने निर्धारित समय पर बैंक आना और रात 11-12 बजे के बाद घर जाना उनकी नियति बन गई है. उनका खाना-पीना भी अनियमित हो चुका है. यूं तो अधिकतर बैंकर्स से अमूमन शिकायतें रहती है कि वे किसी काम को लेकर पहुंचे व्यक्ति को कल या दूसरे व्यक्ति पर टाल देते हैं. नोटबंदी के बाद ऐसे बैंकर्स का भी कार्यभाव बदला नजर आ रहा है. जो बैंकर्स अपने सेवाभाव के लिए अपने क्षेत्र में चर्चित है,
वे जरूरतमंद को नोट दिलाने के प्रति चिंतित ही नहीं हर संभव प्रयास करते नजर आते हैं. लीड बैंक प्रबंधक रामाधार पासवान कहते हैं कि अभी सरकार को हमारी जरूरत है. बैंक के हर सहयोगी सेवाभाव से जुड़ा है. अब भी लोगों की कतारें लगी रहती हैं. पहले पांच दिनों तक यदि कोई कर्मी कुर्सी से हिलता भी तो लोग हल्ला मचाना शुरू कर देते थे. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस सूरत में बैंककर्मी काम कर रहे हैं. बैंकर्स संघ के पदाधिकारी प्रदीप कुमार कहते है कि अभी सारे बैंकर्स भारी दबाव में है. 10 दिनों में अधिकतर बैंकर्स जो भी नोट बदलने और भुगतान के काम से जुड़े हैं वो समय पर भोजन नहीं कर पा रहे हैं.