लगातार प्राकृति की मार झेल रहे किसानों को सरकारी मदद की दरकार——–
बाढ़ व बारिश के कारण इससे पहले भी किसानों की फसलें हुयी थी तबाहखगड़िया. हथिया बरसै, चित्रा मंडराय. घर बईठे किसान रिरिआय वाली कहावत चरितार्थ होने वाली है. लगातार दो दिनों से हो रही बारिश से किसान चिंतित है. किसानों को आशंका है कि महाकवि घाघ की कहावते सही ना हो जाय. मालूम हो कि चक्रवर्ती तूफान मोंथा के कारण बारिश हो रही है. जन जीवन अस्त-वस्त हो गया है. बिना मौसम बारिश ने किसानों की कमर एक बार फिर तोड़ दी है. बारिश के कारण खेतों में लगी धान की फसलें बर्बाद हो चुकी है. किसानों ने बताया कि धान की फसल लगभग तैयार हो चुकी थी. कटनी के बाद खलिहान जाने की तैयारी में जुटे थे. लेकिन इससे पहले ही सारा सपना चकनाचुर हो गया. फसल से अच्छी खासी आमदनी की आस में बैठे किसानों को एक बार फिर मायूसी हाथ लगी है. कृषि विभाग की माने तो जिले में लगभग एक हजार एकड़ से एकड़ खेतों में धान की बुवाई हुयी है.
किसानों के सपने चकनाचूर
चक्रवर्ती तूफान मोंथा ने किसानों के सारे सपने चकनाचूर कर दिए हैं. कई सौ एकड़ खेतों में लगे धान की फसल पूरी तरह से जमींदोज हो गया है. जिले के सदर प्रखंड के इटवा बहियार, घरारी, मधुरा, खैरी खुटाहा सबलपुर बहियार आदि बहियार में खेत में लगे धान की सफल बर्बाद हो गया है. इसके अलावे परबत्ता, गोगरी, अलौली व परबत्ता व मानसी प्रखंड के खेत में लगे धान की फसल बर्बाद हो गया है. किसान रामदेव साह, उपेन्द्र मंडल, राजीव मंडल, मो. सरबर आलम आदि किसानों ने बताया कि अब इन फसलों को खेत से समेटना भी संभव नहीं है. अच्छी खासी आमदनी की आस लगा बैठे किसान प्रकृति की मार झेलने को विवश है. इससे पहले भी परबत्ता प्रखंड के किसानों को बाढ़ एवं बारिश के कारण बड़े पैमाने पर फसल क्षति का सामना करना पड़ा था. केला एवं मक्का की फसलें पूरी तरह से तबाह हो गई थी. चक्रवर्ती तूफान के कारण लगातार बारिश से खेतों में भी बड़े पैमाने पर जल-जमाव हो गया है. दर्जनों किसानों ने बताया कि दलहन एवं तिलहन की बुवाई का अभी मुख्य समय था, जो कि अब नहीं हो पाएगा. आने वाले कुछ दिनों में गेहूं की बुवाई शुरू होनी थी. लेकिन बारिश के कारण खेतों में जल-जमाव हो गया और रवि की बुवाई भी इससे प्रभावित होगा.लगातार हुई बारिश से सब्जी की खेती को भी काफी नुकसान पहुंचा. कई जगहों पर तो धान को कीड़े चाटकर पूरी तरह बर्बादी के कगार पर ला दिया है. जिससे किसान हताश हैं. कीड़े के प्रकोप ने धान की फसल को बर्बाद कर रहा है. जिससे फसल जमीन पर गिरती जा रही है.
चुनाव के मौसम में किसान बदहाल
मौजूदा समय में जहां एक और किसान बेमौसम बारिश से बदहाली की मार झेलने को मजबूर है तो वहीं दूसरी ओर पूरा प्रशासनिक अमला बिहार विधानसभा चुनाव में जुटा है. ऐसे में किसानों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. हालांकि कई कृषि अधिकारियों से इस मुद्दे को लेकर बात की गई. लेकिन उन्होंने चुनावी ड्यूटी का हवाला देते हुए तत्काल इससे पल्ला झाड़ लिया. मायूस किसान सरकारी मदद की आस में टकटकी लगाए हैं. किसानों के एक समूह ने बताया कि अगर सरकारी मदद का ऐलान नहीं किया गया तो आने वाले समय में रवि की बुवाई नहीं हो पाएगा.कहते हैं प्रखंड विकास पदाधिकारी
परबत्ता प्रखंड विकास पदाधिकारी संतोष कुमार पंडित ने बताया कि विधानसभा चुनाव को लेकर सभी कर्मी व अधिकारी व्यस्त हैं. वरीय अधिकारी से निर्देश मिलने पर क्षतिपूर्ति का आकलन कराया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

