परबत्ता. नगर पंचायत परबत्ता में सैरात के नाम पर वर्षों से अवैध वसूली का खेल चल रहा है. प्रतिवर्ष सैरात के नाम पर लाखों रुपये की वसूली कर जेब में रखा जा रहा है. यह वसूली किसके कहने पर की जा रही है. इसका किसी को पता नहीं है. हालांकि वसूली करने वाले मकुनी मंडल ने खुलेआम राशि लेने वाले का नाम बता रहा है. लेकिन पूरा मामला सामने आने के बाद सभी अधिकारी एवं कर्मचारी इससे पल्ला झाड़ रहे हैं. यहां तक कि छोटी से छोटी घटनाओं में अपनी सक्रियता दिखाने वाला अंचल तथा पुलिस प्रशासन भी चुप्पी साध लिया है. हालांकि आगे भी कोई कार्रवाई होती हुई नहीं दिख रही है. कहा जाता है कि नगर पंचायत बनने के पूर्व से ही अंचल कार्यालय के नाम पर मकुनी मंडल द्वारा 10 रुपये प्रति दुकानदार से अवैध वसूली की जाती रही है. अवैध तरीके से वसूली जा रही इस राशि बदले में बाजाप्ता एक रसीद दी जाती है. जिसमें परबत्ता हाट की सैरात वसूली लिखा रहता है. मकुनी मंडल ने इस वसूली की राशि में से प्रति महीना 7500 रुपये राजस्व कर्मचारी को देने की बातें स्वीकार किया है.
कहते हैं अंचल अधिकारी
अंचलाधिकारी मोना गुप्ता ने बताया कि फुटकर दुकानदार से सैरात वसूली का निर्देश नहीं दिया गया है. बीते दस वर्षों से वसूली की गई लाखों की राशि आखिर कहां गयी है. वैसे परबता नगर पंचायत में अवैध वसूली का पहला और इकलौता मामला नहीं है. बस स्टैंड का संचालन के नाम पर तथा अगुवानी बस स्टैंड का टोलटैक्स के नाम पर भी अवैध वसूली होती रही है. जिला परिषद सदस्य जयप्रकाश यादव ने बताया कि इस पूरे मामले में अफसर, कर्मचारी गठजोड़ प्रतीत हो रहा है. इसकी पूरी जांच होनी चाहिए. दोषियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करना चाहिए. नगर पंचायत की अध्यक्ष अर्चना देवी ने बताया कि नगर पंचायत द्वारा इस बारे में फुटकर दुकानदारों को जागरूक किया जायेगा. नगर पंचायत अध्यक्ष अर्चना देवी द्वारा अंचल अधिकारी परबत्ता को बीते तीन वर्षों में आधा दर्जन से अधिक बार लिखित रूप से तथा दर्जनों बार मौखिक रूप से नगर पंचायत अंतर्गत अवस्थित सैरातों का हस्तांतरण नगर पंचायत को करने के लिए पत्र दिया गया. लेकिन बीते तीन वर्षों में इस पत्र पर कोई समुचित कार्रवाई नहीं की गयी है.
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