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श्रद्धा व भक्ति भाव से मनाया गया देवोत्थान एकादशी

श्रद्धा व भक्ति भाव से मनाया गया देवोत्थान एकादशी

गोगरी. देवोत्थान एकादशी का व्रत शनिवार को अनुमंडल क्षेत्र में श्रद्धा व भक्ति भाव से मनाया गया. . आज के बाद लोग शादी विवाह के लिए शुभ मुहूर्त निकाल सकेंगे. कार्तिक पूर्णिमा के बाद से शादी विवाह का लग्न शुरू हो जायेगा. देवोत्थान को ही देव उठान भी कहा जाता है. इसकी एक पौराणिक कथा भी है. देवोत्थान एकादशी की कथा एक समय भगवान नारायण से लक्ष्मी जी ने कहा- ””हे नाथ! अब आप दिन-रात जागा करते हैं और सोते हैं तो लाखों-करोड़ों वर्ष तक को सो जाते हैं तथा उस समय समस्त चराचर का नाश भी कर डालते हैं. अत: आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें. इससे मुझे भी कुछ समय विश्राम करने का समय मिल जायेगा.”” लक्ष्मी जी की बात सुनकर नारायण मुस्काराए और बोले- ””देवी””! तुमने ठीक कहा है. मेरे जागने से सब देवों को और ख़ास कर तुमको कष्ट होता है. तुम्हें मेरी सेवा से जरा भी अवकाश नहीं मिलता. इसलिए, तुम्हारे कथनानुसार आज से मैं प्रति वर्ष चार मास वर्षा ऋतु में शयन किया करूंगा. उस समय तुमको और देवगणों को अवकाश होगा. मेरी यह निद्रा अल्पनिद्रा और प्रलयकालीन महानिद्रा कहलायेगी. यह मेरी अल्पनिद्रा मेरे भक्तों को परम मंगलकारी उत्सवप्रद तथा पुण्यवर्धक होगी. इस काल में मेरे जो भी भक्त मेरे शयन की भावना कर मेरी सेवा करेंगे तथा शयन और उत्पादन के उत्सव आनन्दपूर्वक आयोजित करेंगे उनके घर में तुम्हारे सहित निवास करुंगा. कार्तिक माह के एकादशी को इसी दिन नारायण को जगाया जाता है. तब से देवोत्थान एकादशी मनाया जाता है. साथ ही लग्न सहित सभी मंगल कार्य के लिए शुभ दिन शुरू हो जाता है.

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