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केलवा के पात पर उगे सुरुज जैसे गीतों में डूबे श्रद्धालु

उत्साह के साथ-साथ नये व्रती विधि-विधान को लेकर हैं सचेत

खगड़िया. पूरा शहर आस्था के महापर्व छठ की तैयारियों में जुट गया है. शनिवार को आस्था के महापर्व छठ पूजन का नहाय खाय के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो गया. रविवार को खरना होगा. शनिवार को छठ व्रतियों ने दिन में कद्दू और भात का प्रसाद ग्रहण किया. साथ ही प्रसाद के रूप में परिवार के अन्य सदस्यों सहित पड़ोसी व रिश्तेदारों में छठ व्रतियों द्वारा कद्दू भात प्रसाद वितरण किया गया. महिलाएं चूल्हे बनाने, गेहूं साफ करने व घरों और बर्तनों की सफाई में जुट गयी हैं. युवाओं की टोलियों द्वारा घाटों की सफाई शुरू कर दी गयी है. नगर परिषद क्षेत्र में सफाई कर्मियों द्वारा सफाई की जा रही है. कहीं-कहीं घाटों पर बिजली व अन्य प्रबंध के लिए लोगों से सहयोग राशि ली जा रही है. वैसे प्रशासन ने भी बिजली व्यवस्था दुरुस्त रखने का दावा किया है. गाने से पूरा माहौल भक्तिमय हो चुका है. बाजारों की भीड़ से अब आवागमन प्रभावित होने लगा है. जमालपुर बाजार में भीड़-भाड़ के कारण दिन भर जाम की स्थिति बनी रही. प्रशासन को जाम हटाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी. चूल्हे बनाने का काम हो चुका है पूरा छठ व्रत के लिए मिट्टी के चूल्हे बनाने का काम गांव में महिलाओं ने पूरा कर लिया है. चूल्हे की दुकानें बाजारों में नहीं सजती. गांव में कई जगह सामूहिक रूप से चूल्हे बनाए जाते हैं. किसी भी बड़े मैदान में मोहल्ले की सारी औरतें जमा होकर चूल्हे बनाती है. साथ ही मिट्टी के धूपदान भी बनाये जाते हैं. वहीं महिलाओं की टोली पूरे दिन गेहूं को सूखाती नजर आयी. इस दौरान महिलाएं छठ गीत गाकर माहौल भक्तिमय कर दी. पीतल के सूप में अर्घ देने का बढ़ रहा प्रचलन पहले लोग बांस के सूप और दउरा में पूजा करते थे. अब भी अधिकांश लोग इसी में पूजा करते हैं, लेकिन बीते कुछ वर्षों से पीतल के सूप और दउरा का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. बर्तन की दुकानें ऐसे सामानों से सजी पड़ी हैं. लोग ऐसे सूप खरीदते हैं. जिसपर सूर्यदेव का चित्र अंकित होता है. बाजार में इसकी खरीदारी धनतेरस से ही शुरू हो जाती है. एक बार पीतल के सूप दउरा खरीद लेने पर इसका उपयोग लगातार कई वर्षों तक किया जाता है. ऐसे बांस के बने सूप और दउरा से भी बाजार पट गया है. 80 से 130 रुपये सूप और 120 रुपये से 200 रुपये में दउरा बाजार में बेचे जा रहे हैं. वहीं पीतल के सूप की कीमत लगभग 500 से 800 रुपये और दउरा 1800 से 2300 रुपये में बाजारों में उपलब्ध हैं. उत्साह के साथ-साथ नये व्रती विधि-विधान को लेकर हैं सचेत छठ आस्था का व्रत है, लेकिन इस व्रत की जटिलता के कारण लोग हमेशा सचेत रहते हैं. कहीं कोई चूक न हो जाये. नये व्रतियों में कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिला. कई छठ व्रतियों ने पूछे जाने पर बताया कि मन में हमेशा इस बात का भय रहता है कि कहीं पूजा में कोई चूक न हो जाये. व्रत को लेकर उनमें में काफी अधिक उत्साह है. कहा कि इस पर्व में घर के बच्चे-बच्चे तक सहभागी बन जाते हैं और इतना अधिक काम रहता है कि उपवास का पता तक नहीं चलता. धार्मिक मान्यताओं के साथ ही करें छठ व्रत छठ व्रत धार्मिक विधि-विधान का व्रत है. षष्ठी में अस्ताचलगामी सूर्य को तथा सप्तमी में उदीयमान सूर्य को अर्घ देने का धार्मिक प्रावधान है. इस संबंध में बड़ी दुर्गा मंदिर जमालपुर के पुजारी मदन मोहन झा व मनोज झा ने कहा कि पूर्व नाहाय-खाय से प्रारंभ हो जाता है. इस चार दिवसीय अनुष्ठान में व्रतियों को सर्वाधिक पवित्रता के साथ-साथ भगवान भास्कर एवं छठी मइया के प्रति आस्थावान रहना चाहिए. पंडित ने कहा कि मन के साथ-साथ पूजन स्थल की पवित्रता का खास ख्याल रखना चाहिए. इसमें व्रतियों के साथ-साथ परिवार के लोगों को भी आस्था के साथ इसे संपन्न कराने में अपनी सहभागिता देनी चाहिए. आस्था के साथ पर्व करने वालों की सारी मनोरथें पूर्ण होती है. इसके अलावा घर में सुख-शांति, समृद्धि आती है. जो व्रतियों को उनके अनुष्ठान में सहयोग करते हैं और खरना का प्रसाद ग्रहण करने के अलावे अस्ताचलगामी एवं उदीयमान सूर्य को अर्घ देते हैं.

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