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पांच डिसमिल की मांग पर अड़े लोग

विरोध. तीन डिसमिल जमीन लेने से भूमिहीनों ने किया इनकार सदर अंचल के लाभगांव पंचायत में भूमिहीनों ने तीन डिसमिल जमीन का परचा लेने से इनकार कर दिया है. इस कारण परचा वितरण शिविर को स्थगित करना पड़ा. खगड़िया : सदर अंचल के लाभगांव पंचायत में सैकड़ों भूमिहीनों ने तीन डिसमिल जमीन का परचा लेने […]

विरोध. तीन डिसमिल जमीन लेने से भूमिहीनों ने किया इनकार

सदर अंचल के लाभगांव पंचायत में भूमिहीनों ने तीन डिसमिल जमीन का परचा लेने से इनकार कर दिया है. इस कारण परचा वितरण शिविर को स्थगित करना पड़ा.
खगड़िया : सदर अंचल के लाभगांव पंचायत में सैकड़ों भूमिहीनों ने तीन डिसमिल जमीन का परचा लेने से इनकार कर दिया है. इसके कारण शनिवार को पंचायत में लगने वाले परचा वितरण शिविर को स्थगित करना पड़ा. जानकारी के अनुसार लाभगांव के सैकड़ों भूमिहीन तीन डिसमिल जमीन की जगह पांच डिसमिल जमीन की मांग पर अड़े हुए हैं. इस कारण शिविर को स्थगित करना पड़ा. वर्षों चली कानूनी लड़ाई तथा भू-अर्जन की प्रक्रिया के बाद लाभगांव के छह सौ से अधिक भूमिहीन परिवारों को बसाने के लिए इन्हें परचा दिया जाना था.
वर्ष 2010 के नियम के तहत प्रत्येक परिवार को तीन-तीन डिसमिल जमीन देने का निर्णय लिया गया था. क्योंकि वर्ष 2010 के नियम के तहत ही इन परिवारों को बसाने के लिए सदानंद पुर बेगूसराय के जमींदार राजकिशोर सिंह से जमीन अधिग्रहण किया गया था. सूत्र के अनुसार डीएम के आदेश पर 11 जून को यहां परचा वितरण की योजना थी.
परचा नक्शा सहित सभी तैयारियां पूरी थी, लेकिन अंतिम समय में भूमिहीन परिवारों ने पांच डिसमिल जमीन की मांग करते हुए तीन डिसमिल जमीन का परचा लेने से इनकार कर दिया. जानकारी के अनुसार शनिवार को 665 भूमिहीन परिवारों के बीच 21.24 एकड़ जमीन वितरण होना था.
वर्ष 2010 के नियम के तहत लाभगांव के भूमिहीनों के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया है, लेकिन अब लोग पांच डिसमिल जमीन की मांग कर रहे हैं. इसकी जानकारी वरीय अधिकारी को दी गयी है. अगर तीन की जगह पांच डिसमिल जमीन का परचा प्रत्येक परिवारों को दिया जाता है तो कम से कम 13 से 14 एकड़ जमीन की और आवश्यकता पड़ेगी.
नौशाद आलम, सीओ
वर्षों से विवादित रही है जमीन
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में जिस जमीन पर ये भूमिहीन जबरन बसे हुए हैं उसी जमीन का इन लोगों को परचा दिया जाना था. दो दशक से अधिक समय से ही सैकड़ों परिवार सदानंदपुर के उक्त जमीनदार के जमीन पर जबरन कब्जा जमाये हुए हैं. पहले तो वर्षों इस जमीन पर कानूनी लड़ाई चली.
निचली अदालत से लेकर इस जमीन का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. इस जमीन पर से अवैध कब्जा को हटाने में नाकाम रही जिला प्रशासन ने इसी जमीन का उक्त भू स्वामी से अधिग्रहण किया. फिर इस पर बसे भूमिहीन परिवारों को जमीन का परचा देने का निर्णय लिया, लेकिन लोगों के विरोध के कारण फिलहाल परचा वितरण टल गया है.

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