खगड़िया: डीआइ द्वारा जिले के दवा दुकानदारों से सुविधा शुल्क मांगे जाने के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है. मंगलवार को जिले के दवा दुकानदार संघ के लोगों की आपात बैठक अस्पताल परिसर के बाहर हुई, जिसमें डीआइ द्वारा दी गयी धमकी के विरोध में थाना में सनहा करने का निर्णय लिया गया. लेकिन इसके बीच राज्य स्तर के दवा विक्रेता संघ ने जिला स्तरीय कमेटी से इस मामले में पूरी जानकारी मांगी है.
संघ के सदस्यों ने बताया कि राज्य स्तरीय कमेटी को पूरे मामले का कागजात ई मेल कर दिया गया है. अब कोई भी कार्य वहीं से लिये गये निर्णय के अनुसार होगा.
सनहा दर्ज कराने की क्यों आयी नौबत
बताया जाता है कि बीते मंगलवार को जिला दवा विक्रेता संघ के लोगों ने डीआइ के विरोध में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. लेकिन बीच में ही इस पूरे मामले में एसडीओ का कूद जाना आग में घी का काम किया.
बताया जाता है कि एसडीओ पूरे मामले के पटाक्षेप कराने की बात सभी दवा दुकानदारों से की. लेकिन वे यशोदानगर में पहुंचते ही नर्सिग होम की जांच करने लगे. वहां डीआइ व डॉ एच प्रसाद के बीच तू-तू मैं-मैं होने के बाद डीआइ ने कथित तौर पर जिले के सभी दवा दुकानदारों को भी धमकी दी. उसके बाद सभी दवा दुकानदारों की गोलबंदी शुरू हो गयी और आज बैठक कर थाने में सनहा दर्ज कराये जाने का निर्णय लिया. हालांकि राज्य स्तर से पूरे मामले की जानकारी मांगे जाने के कारण फिलवक्त तक ऐसा नहीं हो पाया है.
पूरे मामले से परदा हटाया
इधर सूचना के अधिकार ने पूरे मामले पर से परदा हटाने का काम किया है. औषधि प्राधिकार ने यशोदानगर स्थित अनामिका मेडिकल हॉल की संचालिका साधना कुमारी द्वारा मांगी गयी सूचना का जवाब देते हुए उन्हें वह रिपोर्ट सौंप दिया है, जिसमें निरीक्षण के दौरान उनसे हस्ताक्षर कराया गया था. लेकिन जिस रिपोर्ट के आधार पर औषधि प्राधिकार ने उक्त मेडिकल हॉल के संचालिका से स्पष्टीकरण पूछा था. उससे वह निरीक्षण रिपोर्ट बिल्कुल ही अलग है, जो डीआइ के करतूतों का परदाफाश करने के लिए काफी है. अब देखना यह है कि इस मामले में जांच अधिकारी क्या करते हैं. जिले के सभी दवा दुकानदारों की नजर अब जांच अधिकारी पर टिकी हुई है.
क्या है मामला
अनामिका मेडिकल हॉल की संचालिका साधना कुमारी ने जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारी एवं चित्रगुप्त नगर थाने को आवेदन देते हुए डीआइ पर जांच रिपोर्ट देने के बदले प्रत्येक माह दो हजार रुपये मांगे जाने का आरोप लगाया था. उसके बाद से पूरे मामले ने तूल पकड़ लिया है और सभी दवा दुकानदार एक जुट हो गये हैं. इसके अलाव राजनीतिक दल के लोगों का समर्थन भी दवा दुकानदारों को अब मिलने लगा है, जिससे मामला और भी पेचीदा हो गया है.