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शेखपुरा में महानंदा से कटाव से तीन घर नदी में समाये, 80 परिवारों पर खतरा

शेखपुरा में महानंदा से कटाव से तीन घर नदी में समाये, 80 परिवारों पर खतरा

– आक्रोशित ग्रामीणों ने बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल के पदाधिकारियों के विरोध में किया प्रदर्शन – कटाव निरोधात्मक कार्य में तेजी लाने की मांग बलिया बेलौन शेखपुरा पंचायत के वार्ड चार पीपल टोला गोसाईकोल में महानंदा से हो रहे कटाव ने भयावह रूप ले लिया है. कटाव के चलते अब तक तीन परिवारों के घर नदी में समा गया है. करीब 80 परिवार गंभीर खतरे की जद में आ गये हैं. इस आपदा को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों ने गुरुवार को विरोध-प्रदर्शन किया और बाढ़ नियंत्रण विभाग के खिलाफ नारेबाजी की. ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग इस गंभीर समस्या को लेकर लापरवाह बना हुआ है. कुछ मजदूरों से काम कराना इस भीषण कटाव पर काबू पाने के लिए पर्याप्त नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर यहां दो से तीन सौ मजदूर लगाये जाये तो कटाव पर आंशिक रूप से नियंत्रण पाया जा सकता है. कटाव से प्रभावित परिवारों की पीड़ा देखते ही बनती है. जिनके घर नदी में समा गये, वे अब खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गये हैं. जिनके घर खतरे में हैं, वे रोज़ाना नदी की तेज धारा को देखते हुए भय और अनिश्चितता में जीवन व्यतीत कर रहे हैं. विरोध-प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों की भारी भीड़ जुटी. इनमें फुलो देवी, हजारी सिंह, केकारू सिंह, एकबाल हुसैन, गोलाम सरवर, आसिफ आलम, अनजार आलम, वकार अहमद, संजय शर्मा, साहेब लाल सिंह, राजू सिंह, दिनेश सिंह, गंगाजली देवी, संध्या देवी, मुन्नी देवी, चमेली देवी, उषा देवी, टोपी देवी, पुसिया देवी, जितनी देवी, शोभा देवी, पूजा देवी समेत दर्जनों लोग मौजूद रहे. सभी ने एक स्वर में विभाग व प्रशासन से शीघ्र कार्रवाई की मांग की. मुखिया प्रतिनिधि एकबाल हुसैन ने प्रदर्शन के दौरान कहा कि स्थिति अत्यंत गंभीर है. तीन परिवार पहले ही उजड़ चुके हैं. यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाया गया तो दर्जनों और परिवार विस्थापित हो जायेंगे. बाढ़ नियंत्रण विभाग को तुरंत बड़ी संख्या में मजदूर लगाकर कटाव रोधी कार्य शुरू करना चाहिए. ताकि और तबाही रोकी जा सके. ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन और विभाग ने लापरवाही जारी रखी तो वे उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. लोगों का कहना है कि यह केवल एक पंचायत की समस्या नहीं है. बल्कि पूरे इलाके को प्रभावित करने वाला संकट है. इस भीषण समस्या ने ग्रामीणों को गहरे संकट में डाल दिया है. एक ओर उनके घर उजड़ रहे हैं. दूसरी ओर भविष्य को लेकर अनिश्चितता बढ़ती जा रही है. इस बीच ग्रामीणों की उम्मीद केवल प्रशासनिक हस्तक्षेप और त्वरित कार्रवाई पर टिकी हुई है.

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