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मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों के भरोसे चल रही सदर अस्पताल की ओपीडी

मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों के भरोसे चल रही सदर अस्पताल की ओपीडी

– सदर अस्पताल में पदस्थापित अधिकांश चिकित्सक ओपीडी में नहीं दे रहे अपनी सेवा – सदर अस्पताल में करीब 41 डॉक्टरों की है पोस्टिंग, ओपीडी में आधा दर्जन चिकित्सक भी नहीं दिखते – इस मामले में जनप्रतिनिधि से लेकर डीएम, सीएस सभी साधे हुए हैं चुप्पी राणा सिंह, कटिहार सदर अस्पताल की ओपीडी सेवा पूरी तरह से मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों के भरोसे संचालित हो रही है. जिला रेजिडेंसी कार्यक्रम के तहत मेडिकल कॉलेज पीजी छात्र रोज़ाना ओपीडी में जिले भर से आने वाले मरीजों का इलाज कर रहे हैं. सदर अस्पताल में तीन दर्जन से अधिक डॉक्टरों की पोस्टिंग होने के बावजूद अधिकांश चिकित्सक ओपीडी में अपनी जिम्मेदारी निभाने से परहेज कर रहे हैं. सदर अस्पताल में करीब 41 डॉक्टरों की पोस्टिंग है. इनमें से तीन से चार डॉक्टर लंबे समय से नदारद हैं. 37–38 डॉक्टर तैनात माने जाते हैं. लेकिन वास्तविक स्थिति यह है कि ओपीडी सेवा में तैनात अधिकांश डॉक्टर नज़र ही नहीं आते. ओपीडी का पूरा भार मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों पर ही छोड़ दिया है. मरीजों के इलाज से लेकर परामर्श तक की जिम्मेदारी ये छात्र निभा रहे हैं. स्थिति इतनी गंभीर है कि कभी-कभी इमरजेंसी ड्यूटी में भी पोस्टिंग डॉक्टर नहीं रहते है. ऐसे में कई बार मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्र ही इमरजेंसी ड्यूटी करते हुए नजर आ जाते हैं. सदर अस्पताल में हर दिन 700 से 800 मरीज इलाज के लिए आते हैं. सीमावर्ती इलाकों से भी बड़ी संख्या में लोग यहां चिकित्सा सेवा के लिए पहुंचते हैं. लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति व गैरजिम्मेदारी के कारण मरीजों को गंभीर परेशानी झेलनी पड़ रही है. जो छात्र इलाज कर रहे हैं, वे अनुभव के आधार पर सेवा दे रहे हैं लेकिन मरीजों की उम्मीद वरिष्ठ डॉक्टरों से रहती है. जो सेवा उन्हें नहीं मिल रही है. जहां एक ओर सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर और मजबूत करने की बड़ी-बड़ी बातें करती है. जिला स्तर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का भार मेडिकल कॉलेज के छात्रों पर डाल दिया गया है. यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती है. बल्कि मरीजों की जान से भी खिलवाड़ है. एक ओर अनुभवी डॉक्टरों की मौजूदगी कागज़ पर दर्ज है. लेकिन व्यावहारिक तौर पर अस्पताल का संचालन अधकचरे अनुभव वाले छात्रों के भरोसे चल रहा है. प्रभात खबर लाइव, ओपीडी में ज्यादा पीजी के छात्र ही इलाज करते आये नजर प्रभात खबर की ओर से गुरुवार को सदर अस्पताल के ओपीडी स्वास्थ्य सेवा का स्कैन किया गया तो ओपीडी में आधे से ज्यादा पीजी के छात्र मरीजों का इलाज करते हुए नजर आये., यहां तक की संवेदनशील सबसे ज्यादा शिशु विशेषज्ञ डॉक्टर की जगह पर पीजी के छात्र छोटे-छोटे बच्चों की जांच करते हुए नजर आये. ईएनटी से लेकर हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में पीजी के छात्र इलाज कर रहे थे. ओपीडी वन में मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्र ईएनटी में अपूर्वा और शिवानी मरीजों का इलाज कर रहे थे. ओपीडी दो में सदर अस्पताल में पोस्टिंग डेंटल डॉ अनिल कुमार सिंह मरीज का इलाज कर रहे थे. जबकि ओपीडी तीन में नेत्र सहायक डॉ दयानंद थे. ओपीडी चार हड्डी रोग विशेषज्ञ में मेडिकल कॉलेज के छात्रा श्वेता हर्ष अपनी सेवा दे रही थी. ओपीडी पांच में पीजी छात्र अमित कुमार, सदर अस्पताल में पोस्टिंग डॉ उर्मी पोद्दार इलाज कर रही थी. जबकि ओपीडी छह में आयुष के चिकित्सक डॉ श्वेता, डॉ सरफराज, डॉ प्रीति आने वाले मरीजों को ओपीडी में देख रहे थे. सबसे अहम मदर चाइल्ड हॉस्पिटल में शिशु डॉक्टर के रूप में मेडिकल कॉलेज के पीजी के छात्र सुमित राज बच्चों की जांच कर रहे थे. यहां तक की अल्ट्रासाउंड की मशीन का संचालन मेडिकल कॉलेज के पीजी छात्रों के भरोसे ही चल रहा है. गुरुवार को कुल मिलाकर जो सबसे ज्यादा संवेदनशील मामले में एक अनुभवी चिकित्सक को इलाज करना चाहिए था. वहां पर मेडिकल कॉलेज के पीजी के छात्र मरीज का इलाज करते हुए नजर आये. ऐसे में सदर अस्पताल की बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर एक बड़ा सवाल जरूर खड़ा हो रहा है. सदर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक इलाज की जगह निभा रहे विभागीय जिम्मेदारी ऐसे तो सदर अस्पताल में तीन दर्जन से ऊपर डॉक्टरों की पोस्टिंग है. लेकिन इनमें से कई ऐसे वरिष्ठ चिकित्सक हैं. जिन्हें विभागीय जिम्मेदारी सौंप दी गई है. सदर अस्पताल की उपाधीक्षक के रूप में डॉ आशा शरण, गैर संचारी रोग पदाधिकारी के रूप में डॉ आर सुमन तथा जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी के रूप में डॉ एस सरकार को दायित्व सौंपा गया है. ऐसे में ऐसे वरिष्ठ चिकित्सकों की सेवा मरीजों को नहीं मिल पा रही है. दिव्यांगों के मेडिकल कैंप तथा कारागार, कोर्ट आदि जैसे कई मामलों में अस्पताल के पोस्टिंग चिकित्सकों को इस कार्य में भेजा जाता है. ऐसे में सदर अस्पताल में कई वरिष्ठ और अनुभवी डॉक्टर की पोस्टिंग तो है लेकिन उनका अनुभव और उनका इलाज मरीज को नहीं मिल पा रहा है. कहते हैं सिविल सर्जन सिविल सर्जन डॉ जितेंद्र नाथ सिंह ने बताया कि सदर अस्पताल में जितने डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति होनी चाहिए उतनी है नहीं. फिर भी बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर कोई कमी नहीं होने दी जा रही है. चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर की कमी है. डॉक्टरों की कमी को लेकर विभाग को बार-बार अवगत कराया जाता रहा है. कई की पोस्टिंग भी हुई है. कई की पोस्टिंग होनी अभी बाकी भी है, सभी को कार्य भार सौंपा जायेगा.

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