डीएस कॉलेज के कई विभाग में लटक रहा ताला
बॉटनी, केमेस्ट्री में शिक्षक नहीं, जुलॉजी विभाग गेस्ट टीचर के सहारे
कटिहार. पूर्वोत्तर बिहार का नामी गिरामी दर्शन साह महाविद्यालय शिक्षकों की किल्लत से जूझ रहा है. एक समय में डीएस कॉलेज में उच्च शिक्षा ग्रहण करने को लेकर नामांकन के लिए मारामारी होती थी. पूर्व के समय में बिहार में गैस प्लांट केवल पटना साइंस कॉलेज के बाद डीएस कॉलेज में हुआ करता था. वह यहां पर अब पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है. जिसकी सुधि लेने वाला भी कोई नहीं है. प्रैक्टिकल के नाम पर घरेलू गैस सिलेंडर से कोरम पूरा किया जा रहा. कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. शिक्षकों की घोर कमी से छात्र जूझ रहे हैं. कई विषयों में शिक्षकाें के नहीं रहने से छात्र बिना पढ़े हर वर्ष परीक्षा दे रहे हैं. खासकर विज्ञान संकाय में शिक्षकों की संख्या इतनी कम है कि अधिकांश विभाग में ताला लटक रहा है. बॉटनी में चार स्वीकृत पद पर केवल एक शिक्षक हैं. वो भी पूर्णिया विवि में प्रतिनियोजन पर हैं. जबकि केमेस्ट्री डिपार्टमेंट में सात स्वीकृत शिक्षकों की संख्या है. एकमात्र शिक्षक लियोन पर हैं. जिसके वजह से रसायन विभाग में ताला लटक रहा है. जबकि जुलॉजी विभाग चार स्वीकृत पद के अनुरूप गेस्ट टीचर के सहारे संचालित हो रहा है. यही वजह है कि कॉलेज प्रशासन को संचालन में जहां पसीना छूट रहा है. दूसरी ओर शिक्षकों के अभाव में छात्र बिना पढ़े परीक्षा के नाम पर शामिल होकर कोरम पूरा कर रहे हैं. अभाविप के प्रांत सह मंत्री विनय कुमार सिंह, सत्यम कुमार समेत अन्य की माने तो डीएस कॉलेज में यूजी में 18 विषयों की पठन पाठन होती है. पीजी में 14 विषयों की डीएस कॉलेज में पढ़ाई होती है. शिक्षकों के घोर अभाव की वजह से छात्र बिना पढ़ाई के प्रतिदिन बैरंग लौट रहे हैं. यूजी में 18 विषयों में बंग्ला, बॉटनी, रसायन शास्त्र, पर्सियन विभाग पूरी तरह से खाली चल रहा है. बॉटनी, जुलॉजी के लिए चार-चार स्वीकृत पद हैं. जहां एक भी शिक्षक नहीं है. रसायन शास्त्र और भौतिकी में सात-सात शिक्षक की स्वीकृत संख्या है. जहां रसायन शास्त्र में एक भी शिक्षक नहीं है. जबकि भौतिकी में दो शिक्षक के सहारे यूजी व पीजी में पढाई होती है. बंग्ला में दो पद के अनुरूप एक भी नहीं रहने से खाली चल रहा है. यही वजह है कि छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण को लेकर अत्यधिक राशि खर्च कर बाहर जाने को विवश हो रहे हैं.
पैटर्न बदलने से हर छह माह में हो रही परीक्षा
अभाविप के प्रांत सह मंत्री विनय कुमार सिंह ने बताया कि डीएस कॉलेज में छात्रों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. लेकिन शिक्षकों की कमी होती जा रही है. 1982 के बाद से कोई पद स्वीकृत नहीं हो पाया है. कभी हजार डेढ़ हजार छात्र पढ़ते थे. आज करीब 17 हजार से अधिक की संख्या हो गयी है. इतना ही नहीं नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत पैटर्न बदलने के कारण हर छह माह परीक्षा होती है. छात्र नामांकन, पंजीयन व परीक्षा फॉर्म भरने तक सीमित हो गये हैं.कर्मचारियों की कमी से कॉलेज प्रबंधन भी परेशान
शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की संख्या भी काफी कम है. जिस वजह से कॉलेज प्रबंधन में परेशान होना पड़ रहा है. डीएस कॉलेज के प्रधान सहायक डॉ एए ओेंकार की माने तो कॉलेज में तृतीय वर्गीय कर्मचारियों की स्वीकृत संख्या 27 हैं. लेकिन महज 10 कार्यरत हैं. चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों के 34 स्वीकृत पद पर चार से जैसे-तैसे संचालन हो रहा है. 14 आउटसोर्सिंग कर्मी को रखकर कार्य लिया जा रहा है. कार्य में अनुभवहीन होने की वजह से कार्य संचालन में कठिनाई का सामना करना पड रहा है. उन्होंने बताया कि कॉलेज में रात्रि प्रहरी, दिवा प्रहरी नहीं होने के कारण आये दिन चोरी, छिनतई की घटना होती है. वर्गकक्ष से बल्ब तक की चोरी हो जा रही है.
शिक्षकाें व कर्मचारियों की कमी से कराया गया अवगत
प्राचार्य द्वारा डीएस कॉलेज में शिक्षकों व कर्मचारियों की कमी से विवि को अवगत कराया गया है. शिक्षकों व कर्मचारियों की सेवानिवृति के बाद संख्या घट रही है. रसायन शास्त्र में एक गेस्ट टीचर कार्यरत थे जिसे दूसरे कॉलेज विवि द्वारा एकरारनामा कर दिये जाने की वजह से रसायन शास्त्र विभाग पूरी तरह से खाली हो गया. शिक्षकों व कर्मचारियों की संख्या कम होने की वजह से परेशानी होती है. बावजूद छात्रों की पढ़ाई बाधित न हो इस पर पूरा ख्याल रखा जाता है. अंग्रेजी विभाग से एक शिक्षक 28 फरवरी को सेवानिवृत हो जाने के बाद अंग्रेजी विभाग में शिक्षक की संख्या एक रह जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है