कोढ़ा नए साल की शुरुआत के साथ ही बसंत पंचमी को लेकर गांव से लेकर शहर तक तैयारियां जोरों पर है. आगामी 23 जनवरी को बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा मनायी जायेगी. मूर्तिकारों की कार्यशालाओं में चहल-पहल बढ़ गयी है. जगह-जगह सरस्वती की प्रतिमाएं आकार लेने लगी हैं. मिट्टी में आस्था के रंग घुलने लगे हैं. मूर्तिकार अपने-अपने कार्यस्थलों पर पूरी तल्लीनता के साथ सरस्वती माता की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हुए हैं. कोई पारंपरिक शैली में माता की प्रतिमा गढ़ रहा है, तो कोई आधुनिक कलात्मक रूप देकर श्रद्धालुओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है. मिट्टी से बनी इन प्रतिमाओं में माता सरस्वती को वीणा धारण किए, हंस पर विराजमान स्वरूप में उकेरा जा रहा है. बेहतर और अधिक आकर्षक प्रतिमा तैयार करने के लिए मूर्तिकार सांचे में ढालकर महीन कारीगरी कर रहे हैं. प्रतिमा के मुख-मंडल, आंखों की बनावट और वस्त्रों की डिजाइन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. मूर्तिकारों का कहना है कि इस बार भी सरस्वती पूजा को लेकर अच्छी मांग है और समय रहते सभी ऑर्डर पूरे करने का प्रयास किया जा रहा है.
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